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छापेमारी बाद फिर खुला फर्जी नर्सिंग होम

खगड़िया : गोगरी के मुश्कीपुर में संचालित फर्जी क्लिनिक में छापेमारी के पांच दिन बीतने के बाद कार्रवाई करने में स्वास्थ्य विभाग आनाकानी कर रहा है. इधर, कोई कार्रवाई नहीं होते देख फर्जी क्लिनिक फिर से खोल कर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ शुरू हो गया है, जबकि जांच में फर्जी रूप से निजी […]

खगड़िया : गोगरी के मुश्कीपुर में संचालित फर्जी क्लिनिक में छापेमारी के पांच दिन बीतने के बाद कार्रवाई करने में स्वास्थ्य विभाग आनाकानी कर रहा है. इधर, कोई कार्रवाई नहीं होते देख फर्जी क्लिनिक फिर से खोल कर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ शुरू हो गया है, जबकि जांच में फर्जी रूप से निजी नर्सिंग होम चलाने के खुलासे के बाद टीम ने मकान मालिक सहित इसके संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही थी,

लेकिन अब जांच रिपोर्ट सहित अन्य बहाना बना कर मामले में लीपापोती की कोशिश तेज होने की खबर है. सूत्रों की मानें तो पूनम नर्सिंग होम के संचालक सहित पैरवीदारों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं को मैनेज करने का दौर तेज कर दिया गया है. बताया जाता है कि हरी झंडी मिलने के बाद भी फिर से पूनम नर्सिंग होम में इलाज शुरू कर दिया गया है.

ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है. कारण इससे पहले भी जांच के नाम पर कई मामले की लीपापोती कर दी गयी है. चाहे पोषण पुनर्वास केंद्र में फर्जीवाड़ा हो या फिर नर्सों की ट्रेनिंग के नाम पर गोलमाल का मामला, ऐसे कई मामले हैं जिनमें परदे के पीछे हुए खेल ने पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

क्या है पूरा मामला : नगर पंचायत गोगरी के मुश्कीपुर कोठी स्थित वार्ड 20 में संचालित अवैध नर्सिंग होम आरोग्यधाम पूनम नर्सिंग होम पर जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 23 सितंबर को छापा मारा था. छापेमारी की भनक लगते ही डॉक्टर व कंपाउंडर क्लिनिक छोड़ कर भाग निकले. जांच के दौरान अवैध रूप से क्लिनिक संचालित करने का खुलासा हुआ था.
जांच टीम ने प्रभात खबर को बताया की यह भी पाया गया कि क्लिनिक का निबंधन नहीं कराया गया है और वहां मानक के अनुरूप कोई भी सुविधा तथा संसाधन नहीं है. रेफरल अस्पताल गोगरी की आशा कर्मी पूनम कुमारी ही गलत ढंग से मरीजों का ऑपरेशन करती है और वह इसकी संचालक है. जबकि डॉ अशोक पासवान सहित कई डॉक्टरों का बोर्ड पर नाम अंकित है, लेकिन अंदर कुछ और खेल चल रहा है. गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी ने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश का इंतजार है.
जबकि पूरे मामले में गरदन फंसते देख गोगरी में कार्यरत आशा कार्यकर्ता पूनम कुमारी ने क्लिनिक चलाने से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि वह तो क्लिनिक में छोटे-मोटे ऑपरेशन सहित इलाज का काम सीखने जाती थीं. इधर, छापेमारी में टीम ने पाया कि क्लिनिक में एक भी एमबीबीएस चिकित्सक तथा प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारी नहीं है.
गुलजार है फर्जी क्लिनिक का मास्टरमाइंड
क्लिनिक में छापेमारी के दौरान आशा कार्यकर्ता पूनम देवी व मो गुलजार द्वारा क्लिनिक चलाये जाने का खुलासा हुआ था. बताया जाता है कि इस क्लिनिक को आशा कार्यकर्ता पूनम कुमारी के नाम पर खोलने व संचालित करने के पीछे मो गुलजार नामक व्यक्ति मास्टरमाइंड है. जांच में यह बात भी उजागर हुआ है कि पसराहा के रामचंद्र सिंह की पत्नी अनीता देवी और मुश्कीपुर के राजू शर्मा की पत्नी अंजलि कुमारी का आशा पूनम कुमारी ने गलत ऑपरेशन किया और ऑपरेशन करने के लिए दोनों मरीज के परिजनों से 15 हजार रुपये भी ऐंठ लिये थे.
छापेमारी टीम में सदर अस्पताल के डॉक्टर प्रयासी, रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रप्रकाश आदि शामिल थे.जिला स्वास्थ्य टीम के छापेमारी दल के अधिकारी ने बताया कि अवैध ढंग से चल रहे मुश्कीपुर कोठी के वार्ड 20 के आरोग्यधाम पूनम नर्सिंग होम जिस मकान में चल रहा था, वह मकान चंद्रशेखर शर्मा का है. जांच टीम के अनुसार मकान मालिक चंद्रशेखर शर्मा पर भी अवैध नर्सिंग होम संचालन करवाये जाने और क्लिनिकल एक्ट का उल्लंघन को बढ़ावा दिये जाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज किये जाने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है.
कहते हैं गोगरी रेफरल प्रभारी
पूनम नर्सिंग होम की जांच के दौरान कई फर्जीवाड़ा सामने आये थे. क्लिनिक में भर्ती मरीजों को यह तक पता नहीं था कि उनका ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर थे भी या नहीं. जांच टीम में जिला से आये चिकित्सक डॉ वाईएस प्रयासी भी शामिल थे. मकान मालिक से एग्रीमेंट के कागजात मांगे गये हैं लेकिन अभी तक नहीं मिला है.
पूरे मामले में उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार अग्रतर कार्रवाई की जायेगी. पूनम नर्सिंग होम जैसे कई क्लिनिक गोगरी इलाके में चल रहे हैं. उसकी जांच का अधिकार मुझे नहीं है. जिला मुख्यालय के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाती है. इस मामले में अब ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं.
डॉ चन्द्रप्रकाश, गोगरी रेफरल अस्पताल प्रभारी.
फोन नहीं उठा रहे सीएस
पूरे मामले में कार्रवाई नहीं होने के पीछे का कारण जानने के लिये सिविल सर्जन के सरकारी मोबाइल पर फोन करने के बाद भी रिसीव नहीं किया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब छापेमारी हुई, जांच में क्लिनिक अवैध ढंग से चलाने का खुलासा हुआ तो फिर एक सप्ताह बीतने के बाद भी कार्रवाई तो दूर क्लिनिक में फिर से जिंदगी के साथ खिलवाड़ क्यों और कैसे शुरू हो गया है.
खुदा न करें अगर इस अवैध नर्सिंग होम में किसी प्रकार की अनहोनी होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा. लापरवाह स्वास्थ्य विभाग या फिर निजी नर्सिंग होम संचालक.

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