खगड़िया : लोक शिकायत अधिनियम के तहत होने वाले सुनवाई में लोक प्राधिकारों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को सम्मन जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है. अब सुनवाई में भाग नहीं लेने वाले लापरवाह लोक प्राधिकारों (विभागीय पदाधिकारी) को जिले के तीनों पीजीआरओ सीधे अथवा उनके प्रशासी विभाग […]
खगड़िया : लोक शिकायत अधिनियम के तहत होने वाले सुनवाई में लोक प्राधिकारों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को सम्मन जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है. अब सुनवाई में भाग नहीं लेने वाले लापरवाह लोक प्राधिकारों (विभागीय पदाधिकारी) को जिले के तीनों पीजीआरओ सीधे अथवा उनके प्रशासी विभाग के माध्यम से सम्मन जारी भी कर सकेंगे. इतना ही नहीं लोक प्राधिकार से शपथ पत्र के जरीये भी रिपोर्ट लेने कही शक्ति इन्हें मिली है.
यानी लोक प्राधिकार के किसी रिपोर्ट पर अगर संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है तो उस परिस्थिति में पीजीआरओ उन प्राधिकार से रिपोर्ट की सत्यता के प्रमाण स्वरूप शपथ पत्र भी ले सकेंगे. सम्मन व शपथ पत्र को लेकर राज्य स्तर से पत्र जारी किये गये हैं. बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के अपर मिशन निदेशक डा प्रतिमा ने सभी पीजीआरओ को पत्र लिखकर कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत किसी मामले या वाद का विचारण करते समय किसी व्यक्ति को सम्मन जारी करना,
उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराना और शपथ पत्र लेने की जो शक्ति सिविल न्यायालय को प्रदत्त है. वहीं शक्ति पीजीआरओ प्रथम व द्वितीय अपीलीय प्राधिकार को सुनवाई अपील की सुनवाई को लेकर दी गयी है. पहले यह विधि विभाग पेंडिंग था. अब इस पर निर्णय हो चुका है.
आधे रहे अनुपस्थित : लोक शिकायतों को लेकर लोक प्राधिकार न तो पहले गंभीर था और न ही अब है. पीजीआरओ के आदेश का शत प्रतिशत अनुपालन कराना तो दूर, लापरवाह लोक प्राधिकार (विभागीय प्राधिकार) सुनवाई में भाग तक नहीं लेते हैं. पहले भी यही स्थिति थी. हां अब इसमें थोड़ा सुधार हुआ है. पहले सुनवाई में भाग नहीं लेने वाले लोक प्राधिकारी की संख्या थोड़ी अधिक हुआ करती थी और थोड़ा विभागीय आदेश के साथ साथ लोकहित से जुड़े मामले की लगातार अनदेखी कर रहे हैं.
बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के प्रधान सचिव आमिर सुवहानी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त माह में खगड़िया जिले में 127 मामलों के विरुद्ध 67 लोक प्राधिकार सुनवाई से अनुपस्थित रहे हैं.
नहीं होती है बड़ी कार्रवाई
बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के प्रधान सचिव सह मिशन निदेशक ने दो महत्वपूर्ण आदेश दिये हैं. पहला यह कि पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन हो और दूसरा यह कि पीजीआरओ की सुनवाई में लोक प्राधिकार उपस्थित हो. इस आदेश के अनुपालन को लेकर पहले भी एक नहीं बल्कि कई बार राज्य स्तर से आदेश दिये जाते रहे हैं. हालांकि यह अलग बात है कि इस अधिनियम को लेकर गंभीर नहीं रहने व लगातार निर्देश की अनदेखी करने वाले लापरवाह लोक प्राधिकार पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पायी है.
कार्रवाई नहीं हो पाने का ही नतीजा है कि लोक प्राधिकार सुनवाई में भाग नहीं लेते और समय सीमा के भीतर आदेशों का विस्थापन नहीं करते. जिसकारण आवेदकों को पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कराने के लिए भी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. प्रधान सचिव ने सभी डीएम को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि लापरवाह लोक प्राधिकार पर कार्रवाई की स्थिति अच्छी नहीं है.
प्रधान सचिव ने यह भी पूछा है कि इतनी उदासीनता के बावजूद पूरे राज्य में मात्र 11 लोक प्राधिकारों पर ही अनुशासनिक कार्रवाई एवं आदेश होने व 18 लोक प्राधिकार से तीन लाख 81 हजार रुपये की वसूली हुई है क्यों.