विभागीय उदासीनता. कटिहार में जारी है अवैध गेसिंग व लॉटरी का धंधा
Advertisement
लोगों को कंगाल बना रही लाॅटरी
विभागीय उदासीनता. कटिहार में जारी है अवैध गेसिंग व लॉटरी का धंधा गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के लोग धनी बनने के चक्कर में शार्टकर्ट का रास्ता अपना कर ऐसे कारोबारी के चुंगल में फंस कर बरबाद हो रहे हैं. कटिहार :कटिहार शहरी क्षेत्र में अवैध लॉटरी का कारोबार जोर शोर से चल रहा है. […]
गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के लोग धनी बनने के चक्कर में शार्टकर्ट का रास्ता अपना कर ऐसे कारोबारी के चुंगल में फंस कर बरबाद हो रहे हैं.
कटिहार :कटिहार शहरी क्षेत्र में अवैध लॉटरी का कारोबार जोर शोर से चल रहा है. अवैध लॉटरी कारोबारी की माने तो पुलिस के सरंक्षण में ही अवैध लॉटरी जिले और शहरी क्षेत्र में चल रहा है.
तत्कालीन एसपी छत्रनील सिंह के कार्यकाल के दौरान ही यह कारोबार पूर्णरूपेण बंद हो गया था. एसपी डॉ सिद्धार्थ मोहन जैन ने जब कटिहार एसपी का पदभार संभाला तो उनके तल्ख तेवर को देख कर पुलिस वालों ने खतरा उठाने की सोची भी नहीं और गेसिंग लॉटरी का अवैध कारोबार पूरी तरह से बंद रहा लेकिन धीरे धीरे जब सबकुछ सामान्य हो गया तो शहरी क्षेत्रों में दोबारा पुलिस कर्मियों ने गेसिंग लॉटरी चलाने का सिग्नल दिया.
जिस कारण पूरे शहर में यह दोबारा चालू हो गया. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार जिसमें पैसे कमाने की ललक तो होती ही है लेकिन वह धनी बनने के चक्कर शार्ट-कट रास्ता अख्तियार करते हैं. ऐसे ही लोग इस कारोबारी के चुंगल में फंसते हैं और बरबाद होते हैं. वह इस खेल का सहारा लेते है और अंत में पता चलता है कि उसके पास जो कुछ भी था वह लॉटरी के खेल में लूट गया. आखिर सवाल यह उठता है कि यह कौन चला रहा है. इससे कमायी गयी राशि कहीं राष्ट्र विरोधी कार्य में तो उपयोग नहीं किया जा रहा है. अवैध लॉटरी संचालकों की माने तो बिना पुलिस के सिग्नल दिये यह खेल संभव नहीं है.
प्रति काउंटर से पांच हजार रुपये सप्ताह यानी एक काउंटर से बीस हजार रुपया महीना लॉटरी संचालक चुकाते हैं. जब 20 हजार रुपये महीना एक काउंटर से चुकाते हैं तो उसकी कमायी कितनी होगी. कटिहार में करीब तीस से चालीस काउंटर फिलहाल चल रहे है.
90 में लॉटरी टिकट की होती थी बिक्री
नब्बे के दशक में इस खेल के लिए हर चौक चौराहों पर लॉटरी के कांउटर होते थे. दिन भर काउंटर पर भीड़ सी लगी रहती थी. बकायदा राज्य सरकार को इससे टैक्स मिलती थी. लेकिन लॉटरी को लेकर हुई अपघटित घटनाओं के कारण बिहार सरकार ने बिहार में लॉटरी बंद कराने का निर्णय लिया. राज्य सरकार के निर्णय से लॉटरी टिकट तो बंद हो गयी. लेकिन कारोबारी में जो चस्का था वह समाप्त नहीं हुआ. खेल में कुछ बदलाव हुए जहां अलग-अलग कंपनी टैक्स देकर लॉटरी चला रही थी.
वहीं कुछ सरगनाओं ने इसे स्वयं चलाने का निर्णय लिया और पुलिस संरक्षण में यह खेल चालु हुआ. इससे कारोबारी तो करोड़ो में खेलने लगे लेकिन लॉटरी खेलने वाले दिनों दिन गर्त में जाते चले गये. सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार नगर थाना में तैनात दो जवान इस कारोबार में सक्रिय है. जिसके इशारे पर शहरी क्षेत्र में लॉटरी का कार्य अवैध रूप से चल रहा है.
कहते हैं एसडीपीओ
इस संदर्भ में एसडीपीओ लाल बाबू यादव ने कहा अवैध लॉटरी के खेल को लेकर सूचना मिलते ही पुलिस कार्रवाई करते आ रही है. पुलिस कई बार लॉटरी संचालक व खेलने वालों को गिरफ्तार भी कर चुकी है. क्षेत्र में अगर लॉटरी का खेल हो रहा है तो शीघ्र ही पुलिस छापेमारी कर कारोबारी को गिरफ्तार करेगी.
एक रुपया लगाओ, नौ रुपये पाओ
एक रुपया लगाओ और नौ रुपया पाओ. यह खेल जहां होती है वहां एक व्यक्ति कॉपी लेकर बैठता है. कॉपी में लिखे आंकड़े के अनुसार जिन व्यक्ति को जितना रुपया लगाना है लगाते है अन्यथा उसकी क्रेडिट सही है तो फोन से ही वह लॉटरी खेल लेता है . प्रत्येक काउंटर पर लाखों का खेल होता है. हर एक घंटे में एक कंपनी के लॉटरी का खेल हो जाता है. जिसमें रुपये लगाने वाले को जीतने पर उसे अविलंब उसी काउंटर से नौ गुणा बढ़ा कर रुपया दे दिया जाता है.
यानि ग्यारह रुपया के लॉटरी खेलने वालों को जीतने पर एक सौ रुपया दिया जाता है. सुबह नौ बजे से खेल आरंभ होती है और संध्या के छह बजे तक यह खेल जारी रहता है. लॉटरी के खेल में अलग अलग नाम देकर स्थानीय कारोबारी लोगों का नाम लूटने का काम करते हैं.
अक्सर घटित होती रही हैं अप्रिय घटनाएं
इस लॉटरी में अपनी गाढी पूंजी व कमायी गंवाने के बाद लोगों के पास चोरी व अापराधिक घटना के सिवाय कुछ नहीं बचता था. जब जब यह खेल आरंभ होता है. तब तब क्षेत्र में अापराधिक घटनायें बढ़ जाती है. इस खेल को खेलाने में अधिकांशत: अपराधी प्रवृति के लोग ही शामिल होते है. जिसमें अधिकांश कारोबारी कई बार जेल की हवा भी खा चुके रहते है. और अपनी दबंगई व वर्चस्व को लेकर इस प्रकार का खेल को खिलाने में उनको महारथ हासिल रहती है.
इस लॉटरी के कारण ही बीते वर्ष पूर्व मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हफलागंज में एक व्यक्ति ने नन बैकिंग कंपनी के राशि को लॉटरी में हार जाने के कारण एक व्यक्ति ने अपने पत्नी, बच्चा सहित जहर खाकर जान दे दी थी.
कहां-कहां होता है खेल
शहरी क्षेत्र के नगर थाना से महज सड़क उस पार कर्पूरी बाजार, न्यू मार्केट, अड़गड़ा चौक, दुर्गास्थान चौक, डहेरिया, शरीफगंज, गौशाला, हवाई अड्डा, पटेल चौक, चौधरी मुहल्ला, महमूद चौक, ड्राइवर टोला, संतोषी चौक, सहित कई स्थानो पर खेल होता है. न्यू मार्केट के सब्जी मंडी में एक कटरा नुमा कमरे में ही खेल को संचालित किया जाता है. डहेरिया में आजाद चौक, शरीफगंज में इमामबाड़ा के समीप, रामपाड़ा, अड़गड़ा चौक पर श्रम विभाग अस्पताल के पीछे लॉटरी का अवैध खेल होता है. क्षेत्र में चलने वाले लॉटरी के हर एक काउंटर को पुलिस वालों को हफ्ते के रूप में एक मोटी रकम मिलती है. यहां तक की सभी नाका के पुलिस बलों को भी इसकी जानकारी रहती है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement