अमदाबाद : प्रखंड क्षेत्र की लाखों की आबादी आयरन युक्त पानी पीने को विवश हो रही है. पीएचइडी विभाग की ओर से लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कुएं व चापाकल में लगाये गये उपकरण बेकार साबित हो रहा है. प्रखंड वासियों ने आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं. विदित हो कि अमदाबाद प्रखंड गंगा एवं महानंदा नदियों से घिरा हुआ है. नदियों के घिरा रहने के कारण यहां के अधिकांश चापाकलों में आयरन,
लौह, आर्सेनिक युक्त पानी निकलता है. यहां के लोग पेयजल के रूप में मीठा जहर पी रहे हैं. इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. बता दें कि वर्ष 2003-04 के आसपास में प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकल को एक सरकारी टीम ने जांच कर आयरन, लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड युक्त पानी देने वाले चापाकलों को चिन्हित किया था.
इस जांच में प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकलों में आयरन, लौह, आर्सेनिक आदि पाया गया था. इस जांच के बाद पीएचइडी विभाग द्वारा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में कुएं खुदवा कर चापाकल लगवाया गया. वहीं इस कार्य से जुड़े लोगों द्वारा निजी फायदा को लेकर कई स्थान ऐसे चयन किये गये, जो लोगों के हित में नहीं है. प्रखंड में पीएचइडी द्वारा लगाये गये अधिकांश कुएं लोगों के उपयोग में नहीं है. जबकि सरकार की उद्देश्य था कि यहां के लोगों को आयरन, लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड युक्त जल उपलब्ध हो सके. लेकिन ऐसा ना होकर इसका उल्टा हो गया.
कुएं बनाने के कुछ दिन बाद कुएं का फर्श टूट कर जर्जर हो गयी तो कुछ कुएं सही स्थान पर नहीं होने के कारण लोगों ने उसका दुरूपयोग करने लगे. पेयजल योजना के तहत लगाये गये चापाकल में सरकार की करोड़ों रुपया का दुरूपयोग किया गया है. साथ ही स्थानीय विभागीय कर्मचारी के मिली भगत से इस योजना की राशि का बंदरबांट किया गया है. साथ ही प्रखंड के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. प्रखंड वासी आज भी आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं. इस ओर स्थानीय प्रशासन भी उदासीन हैं.