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ट्रेनों व प्लेटफॉर्म पर नहीं पर्याप्त सुरक्षा

कटिहार : कटिहार-मालदा पैसेंजर ट्रेन में बम की सूचना से रेल प्रशासन भले ही हरकत में आ गयी और बिना किसी घटना के 14 देसी बम को बरामद कर उसे डिफ्यूज कर घटना को टाल दिया, लेकिन इस घटना ने रेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. एक ओर […]

कटिहार : कटिहार-मालदा पैसेंजर ट्रेन में बम की सूचना से रेल प्रशासन भले ही हरकत में आ गयी और बिना किसी घटना के 14 देसी बम को बरामद कर उसे डिफ्यूज कर घटना को टाल दिया, लेकिन इस घटना ने रेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. एक ओर पाकिस्तान की ओर से भारत में लगातार आतंकी घुसपैठ किया जाता है. आइबी ने चार आतंकी के बिहार में छिपे होने की बात कही है.

खासकर नेपाल व बंगला देश बाॅर्डर के समीप अब इन स्थिति में अगर रेल पुलिस बल सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति कर रही है, तो बड़े हादसों की जिम्मेवारी किसकी होगी. आरपीएफ व जीआरपी के कंधों पर सुरक्षा की जिम्मेवारीआरपीएफ व जीआरपी के कंधों पर रेल की सुरक्षा की जिम्मेवारी होती है.

आरपीएफ व जीआरपी संयुक्त रूप से रेल व उसके यात्रियों की सुरक्षा करते है. लेकिन कटिहार मालदा पैसेंजर ट्रेन में इतनी भारी मात्रा में बम मिलना एक प्रकार से लोगों के जिंदगी के साथ रेल प्रशासन का खिलवाड़ करना जैसा ही है. -कटिहार जोगबनी ट्रेन तस्करी का सुलभ साधन बना है ट्रेनअंतराष्ट्रीय सीमा को लेकर भारत- नेपाल बाॅर्डर पर चौकसी होनी चाहिए.

लेकिन जोगबनी स्टेशन पर महज सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति होती है. अगर स्टेशन परिसर में सुरक्षा व्यवस्था होती ही तो लाखों लाख का अंतरराष्ट्रीय माल अवैध रूप से ट्रनों से कटिहार व अन्य जिलों में नहीं पहुंचता. इसका उदाहरण बीते दिन पूर्व आरपीएफ कोशेलेंद्र व सीआइबी की टीम ने 14 बोरा अवैध नेपाली सुपारी जब्त कर किया था.

सवाल यह उठता है इतनी ही रेल सुरक्षा का दम भरती है तो फिर वह अवैध सुपारी 100 किलोमीटर का सफर कर कटिहार कैसे पहुंच गयी. जबकि जोगबनी, फारबिसगंज, अररिया, पूर्णिया व कटिहार के आरपीएफ व जीआरपी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की बात कहती है फिर उन स्टेशन को पार कर तस्कर अपने तस्करी के सामान कटिहार लाने में सफल कैसे हो जाते है.

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