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बालश्रम व बाल विवाह से खोया बचपन

बालश्रम व बाल विवाह से खोया बचपनफोटो नं. 15 से 23 कैप्सन – झोपड़ी में विद्यालय का हो रहा संचालन, बच्चों व अभिभावकों की प्रतिक्रिया.प्रतिनिधि, कटिहारजिले के सातों विधानसभा सीटों पर चुनाव को लेकर अब सियासी फिजा परवान चढ़ने लगा है. लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच बच्चों से जुड़े मुद्दे सियासी दिग्गजों के एजेंडे […]

बालश्रम व बाल विवाह से खोया बचपनफोटो नं. 15 से 23 कैप्सन – झोपड़ी में विद्यालय का हो रहा संचालन, बच्चों व अभिभावकों की प्रतिक्रिया.प्रतिनिधि, कटिहारजिले के सातों विधानसभा सीटों पर चुनाव को लेकर अब सियासी फिजा परवान चढ़ने लगा है. लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच बच्चों से जुड़े मुद्दे सियासी दिग्गजों के एजेंडे से पूरी तरह गौण है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी भी समाज की तसवीर बच्चों के चेहरे को देख कर समझा जा सकता है. कहने का मतलब कि शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चे को स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा कैसे सुनिश्चित किया जाय, इस पर किसी सियासी दल और प्रत्याशी ने समग्र रूप से एजेंडे में शामिल नहीं किया है. जबकि बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा व सुरक्षा की गारंटी दिये बगैर विकास के तमाम दावे बेईमानी लगती है. ज्ञात हो कि 90 फीसदी परिवार के बच्चे सरकारी विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र से शिक्षा व सुविधा प्राप्त करते हैं. आंगनबाड़ी केंद्र व सरकारी विद्यालय की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. दूसरी तरफ 18 वर्ष से पूर्व शिक्षा से वंचित होने के बाद ऐसे बच्चे या तो बाल श्रमिक बन जाते हैं या फिर कम उम्र में उनकी (बालिका) शादी कर दी जाती है. चुनाव में बच्चे वोटर नहीं होते हैं. इसलिए सियासी दल बच्चों के मुद्दे को प्राथमिकता में नहीं रखते हैं. ऐसा लोग कहते हैं. प्रभात खबर ने ‘वोट करें, बिहार गढ़ें’ मुहिम के तहत बच्चों से जुड़े मुद्दे को यहां प्रस्तुत कर रही है. साथ ही विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चाइल्ड राईट्स एंड यू तथा बिहार लोक अधिकार मंच द्वारा जारी की गयी बाल घोषणा-पत्र के जरिये बच्चों की स्थिति को यहां प्रस्तुत की जा रही है. आरटीइ का नहीं मिल रहा पूर्ण लाभछह से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून 2009 के तहत बच्चों को मुफ्त व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का अधिकार प्राप्त है. जिले में इस कानून का अनुपालन अब तक नहीं किया गया. कटिहार जिले में 250 से अधिक प्राथमिक विद्यालय बगैर भवन के झोपड़ी में संचालित हो रही है. दूसरी तरफ समय पर बच्चों को पाठ्य पुस्तक नहीं मिलती है. चालू वर्ष में सितंबर महीने में बच्चों को पुस्तक मिली है. किसी तरह जिले में औसतन 52 से 55 छात्र-छात्राओं पर एक शिक्षक है. आरटीइ के तहत कई प्रावधानों को अब तक लागू ही नहीं किया गया है. -भ्रष्टाचार की पर्याय बनती आंगनबाड़ी केंद्रआइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. तमाम दावों के बीच आज भी आंगनबाड़ी केंद्र समुदाय के नजर में भ्रष्टाचार का पर्याय बना हुआ है. जबकि सरकार ने शून्य से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों के लिए सुविधा व शिक्षा की व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्र में होती है. प्रभावी मॉनिटरिंग व कार्रवाई नहीं होने की वजह से तीन से छह साल तक के बच्चों को मिलने वाली विद्यालय की शिक्षा बदहाल बनी हुई है. जबकि आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाली विद्यालय पूर्व शिक्षा बच्चों को मिलने वाली प्राथमिक शिक्षा का माइल स्टोन माना जाना जाता है. बालश्रम व बाल विवाह पर नहीं कसी जा रही है नकेल सरकारी विद्यालय में अधिकांश बच्चे गरीब, मजदूर एवं वंचित समाज के बच्चे पढ़ते हैं. विद्यालय शिक्षा से वंचित बच्चे बाल मजदूरी की ओर बढ़ते हैं. जबकि शिक्षा से वंचित अधिकांश लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है. जिले में कभी भी बाल विवाह यानी 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी करने का चलन है. जबकि विभिन्न ट्रेडो में करीब 24000 बच्चे काम कर रहे हैं. कहते हैं बच्चे व अभिभावकप्रारंभिक विद्यालय में पढ़ने वाले कुंदन यादव, चिन्मय प्रियांशु, पूर्णिमा कुमारी, ईशा कुमारी, अभिभावक अख्तर हुसैन, देवव्रत दास, जाबीर हुसैन, हरिमोहन सिंह कहते हैं कि चुनाव में बच्चों से जुड़ा मुद्दा किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं हैं. दरअसल, बच्चे वोटर नहीं होते, इसलिए सियासी दल बच्चों के मुद्दे को तब्बजों नहीं देते हैं. आज भी सरकारी विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का शिक्षा भगवान भरोसे हैं. जबकि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति भी किसी का ध्यान नहीं रहता है. बाल विवाह व बालश्रम में बचपन झुलस रहा है. -यह है बाल घोषणा-पत्रविधानसभा चुनाव में बच्चे के मुद्दे पर काम करने वाले संगठनों द्वारा बाल घोषणा-पत्र जारी किया गया है. 1. शिक्षा अधिकार कानून प्रभावी तरीके से जमीनी स्तर पर लागू किया जाय.2. पाठ्य-पुस्तक वितरण नीति के तहत अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सभी बच्चों को पुस्तक उपलब्ध कराया जाय.3. बाल विवाह व बालश्रम की रोकथाम को लेकर प्रभावी कदम उठाया जाय.4. पंचायत स्तर पर प्लस-टू विद्यालय व बालिका के लिए आवासीय विद्यालय की स्थापना की जाय.5. आंगनबाड़ी केंद्र में व्यापक सुधार लाया जाय.6. प्रखंड स्तर पर पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की जाय.7. बच्चों को स्वास्थ्य की गारंटी दी जाय.8. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 के तहत राज्य कार्य योजना का निर्माण किया जाय. 9. बच्चों के समग्र विकास के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया जाय.

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