कटिहार: जूट मिल मजदूरों के लिए वर्ष 2014 उतार चढ़ाव वाला रहा. मिल बंदी, मजदूरी का भुगतान नहीं होना व मजदूर के आंदोलन के लिए यह वर्ष यादगार रहेगा. मिल बंदी से सैकड़ों मजदूर अब भी बेरोजगारी का दंश ङोल रहे हैं.
उन मजदूरों का आशा है कि नये वर्ष 2015 में शहर के दोनों जूट मिल बेहतर तरीके से काम करने लगेगा और रोजी रोटी की समस्या का निदान हो जायेगा. पूरा परिवार खुशहाल हो जायेगा.
लेकिन यह सब मिल प्रबंधन के क्रिया कल्लापों पर निर्भर करेगा. गौरतलब हो कि पुराना जुट मिल में बकाये मजदूरी के लिए जब मजदूरों ने अपनी बातों को उठायी तो तीन मई 2014 को मिल को बंद कर दिया गया. विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेताओं द्वारा मिल प्रबंधन से वार्ता किया लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. उसके बाद नेताओं ने श्रम संसाधन मंत्री दुलाल चंद्र गोस्वामी से वार्ता किया. जिसके बाद मंत्री के पहल पर आठ अक्तूबर 2014 को मिल चालू कराया गया. लेकिन 650 मजदूरों की जगह मात्र 150 मजदूरों को ही कार्य पर रखा गया जो अब भी जारी है. मिल प्रबंधन का कहना है कि विद्युत की समस्या के कारण सभी मजदूरों को कार्य पर नहीं रखा गया है.
जेनरेटर पर कार्य कराया जा रहा है. दूसरी ओर आरबीएचएम जूट मिल को छह जुलाई 2014 को उत्पादन कम होने का हवाला देकर मिल को बंद कर दिया गया था. जिसके बाद राजनीतिक दल व ट्रेड यूनियन ने डीएम से मिलकर मिल को चालू कराने का मांग किया था. तथा इस मसले पर मिल प्रबंधन से भी बात किया था. जिसके बाद मिल प्रबंधन द्वारा यह कहा गया था कि मिल में सफाई के बाद मिल को चालू कर दिया जायेगा. लेकिन छह माह बीतने के बाद भी सफाई का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. नतीजतन जुलाई माह से एक हजार मजदूर बेरोजगारी की मार ङोल रहे हैं. मिल अब भी बंद पड़ा हुआ है.