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सरकारी खर्चे पर गोवा-मुंबई की हुई थी सैर

आवास विभाग ने व्यय की गयी राशि को पार्षदों से वसूलने का दिया था निर्देश सात फरवरी 2018 को नगर विकास विभाग पटना की ओर से जारी पत्रांक 1273 में अनियमितता की बातें आयीं सामने कटिहार : नगर निगम की स्थिति काफी नारकीय है. शहर में कचरे का अंबार, सड़क पर बहते नाले का पानी, […]

आवास विभाग ने व्यय की गयी राशि को पार्षदों से वसूलने का दिया था निर्देश

सात फरवरी 2018 को नगर विकास विभाग पटना की ओर से जारी पत्रांक 1273 में अनियमितता की बातें आयीं सामने
कटिहार : नगर निगम की स्थिति काफी नारकीय है. शहर में कचरे का अंबार, सड़क पर बहते नाले का पानी, जल जमाव सहित अन्य तकलीफों से निगम के लोग जूझते नजर आते हैं और निगम के अधिकारी से लेकर वार्ड पार्षद तक मुंबई व गोवा में मौज करने जाते हैं. इसका खुलासा नगर विकास विभाग की ओर से जारी पत्रांक संख्या 1273 वर्ष 2016-17 से हुआ है. इसमें निगम की ओर से करोड़ों रुपये के व्यय पर नगर विकास विभाग ने स्पष्टीकरण मांगा है. इसका जवाब देने में निगम के हाथ पांव फूल रहे हैं. सरकारी खर्चे पर पार्षदों की पूरी मंडली मुंबई व गोवा घूम आयी और इसका हिसाब-किताब का कहीं कोई जिक्र तक नहीं किया गया.
इससे सवाल उठना शुरू हो गया है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस परिस्थिति में ऐसी लापरवाही की गयी और इसकी जांच निगम स्तर पर ही क्यों नहीं हुई. तीन माह के बाद भी मामले में अबतक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना यह स्पष्ट करता है कि निगम इन मामलों में संभवत: जवाब तलाश रहा है या फिर निगम के अधिकारी से लेकर वार्ड पार्षदों के मौज मस्ती पर हुए खर्च का ब्योरा निगम ने नगर विकास विभाग को सब्मिट कर दिया है. बताते चलें कि नगर विकास एवं आवास विभाग के विशेष सचिव ने बाकायदा पत्र प्रेषित कर नगर निगम बोर्ड से अनुमोदन करा कर जिला स्तरीय समिति की समीक्षा के बाद महालेखाकार पटना व विभाग को इसकी प्रति उपलब्ध कराने की सख्त हिदायत दी थी. हालांकि पत्र प्रेषण के बाद निगम के अधिकारियों में पटना के विकास भवन से जारी पत्र के जवाब को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. निगम के अधिकारियों की मानें, तो मामले में नगर विकास अावास विभाग पटना को खर्च संबंधी ब्योरा तथा पटना से आयी टीम को निगम में हुई ऑडिट में एक-एक रुपये का हिसाब दे दिया गया था.
मुंबई व गोवा में मौज में खर्च हुए 7.36 लाख
नगर विकास आयोग विभाग पटना के महालेखाकार से जारी पत्र के सवालों में वार्ड पार्षद के मुंबई गोवा भ्रमण में 7.36 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया है. इसमें विभाग ने निगम को जारी पत्र में कहा कि निगम वार्ड पार्षद के भ्रमण के लिए पुर्वानुमति सरकार से नहीं ली गयी थी. बोर्डिंग पास संचिका में संलग्न नहीं था. इसलिए यह राशि जिम्मेवार व्यक्तियों से वसूल करने का निर्देश दिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर निगम यह राशि किस प्रकार वार्ड पार्षद सहित अन्य लोगों से वसूलेगा. क्या यह राशि वार्ड पार्षद दे पायेंगे या फिर किसी एनजीओ, पीसी आदि जैसे माध्यमों से निगम के कोष में जमा कराया जायेगा. अब सवाल यह उठता है कि आवास विभाग को जब इस बात की जानकारी नहीं थी कि वार्ड पार्षद सरकारी खर्च पर मुबंई व गोवा की सैर करेंगे, तो आखिर निगम ने किस प्रकार उस खर्च का ब्योरा विभाग को दिया.
एलइडी बल्ब खरीद में भी घालमेल
नगर विकास एवं आवास विभाग के विशेष सचिव की ओर से निगम को जारी किये गये पत्र से खुलासा हुआ है कि एलइडी खरीद में 3.78 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आयी है. इस मामले में भी बिहार वित्त नियमावली के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. इस कारण नगर विकास विभाग पटना ने उक्त मामले में भी निगम को घेरा है तथा उससे जवाब तलब किया है.
रोक लगाने के बाद भी पंच फांउडेशन को किया जाता रहा भुगतान
शहरी क्षेत्र के नौ वार्ड की साफ सफाई का जिम्मा एक एनजीओ पंच फाउंडेशन को दिया गया था. इसके कार्य को देखते हुए नगर विकास विभाग पटना ने निगम के साथ हुए एकरारनामा के अनुसार कार्य नहीं किये जाने के कारण उसके भुगतान पर रोक लगा दी थी. बावजूद पंच फाउंडेशन को निगम भुगतान करता रहा. इस बात को लेकर पटना आवास विभाग ने मामले की जांच सक्षम पदाधिकारी से कर कार्रवाई की बात कही थी. उक्त मामले में भी निगम के अधिकारी के पास किसी प्रकार का जवाब नहीं है.
इधर पंच फाउंडेशन को लेकर कुछ एक वार्ड पार्षदों ने अपने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पंच फाउंडेशन को शहर के कुछ वार्ड पार्षद ही संचालित कर रहे हैं. इस कारण एकरारनामा के प्रारूप में कार्य नहीं करने तथा विभाग की ओर रोक लगाने के बाद भी पंच फाउंडेशन को भुगतान निगम करता आ रहा है. कारण स्पष्ट दिख रहा है कि उक्त संस्था वार्ड पार्षदों के अधीन संचालित हो रही है भले ही उक्त एनजीओ के कागजात किसी अन्य के नाम पर हैं.

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