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छठ के बाद स्थिति हो गयी बदतर, गंदगी व कचरे से पटा घाट

कटिहार : लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न होने के बाद सभी प्रमुख छठ घाट गंदगी से भरे पड़े हैं. छठ पर्व को लेकर एक पखवारे से लोग छठ घाट व नदी, तालाब की साफ-सफाई करने में जुटे थे. छठ पर्व समाप्त होते ही इसके विपरीत स्थिति देखने को मिल रही है. केंद्र व राज्य […]

कटिहार : लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न होने के बाद सभी प्रमुख छठ घाट गंदगी से भरे पड़े हैं. छठ पर्व को लेकर एक पखवारे से लोग छठ घाट व नदी, तालाब की साफ-सफाई करने में जुटे थे. छठ पर्व समाप्त होते ही इसके विपरीत स्थिति देखने को मिल रही है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान के बावजूद नदी, तालाब व पोखर के किनारे बने छठ घाट को साफ-सुथरा नहीं रखा गया. यह अच्छा मौका था कि छठ पर्व के बहाने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के नदी, तालाब, पोखर आदि की साफ सफाई हो गयी, लेकिन इसे बरकरार नहीं रखा जा सका. इसके लिए जितना दोषी प्रशासन है.

उतना दोषी समाज भी है. शनिवार को प्रभात खबर ने शहर के कई घाटों का जायजा लिया तो यही पाया कि अधिकांश घाट व पोखर, नदी, तालाब की स्थिति खराब है. छठ पर्व में घाट में लगाये गये केला के थंब को उसी नदी, तालाब में बहा दिया गया. साथ ही घाट पर पड़े हुए अन्य अपशिष्ट पदार्थों को भी नदी, तालाब, पोखर में डाल दिया गया. इससे गंदगी चारों ओर फैल गयी. जल पूरा प्रदूषित की तरह दिखने लगा है. कमोबेश ऐसी स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों की भी है.

समाज में इस बात की भी बहस होनी चाहिए कि जलस्रोतों वाले जगह नदी, तालाब, पोखर आदि को स्वच्छ क्यों नहीं रखा जा सकता है. शासन प्रशासन के साथ-साथ समाज को भी इस बारे में सोचना पड़ेगा, लेकिन छठ पर्व के बाद जो स्थिति बनी है. वह निश्चित रूप से जागरूक समाज के लिए कई सवाल पैदा करती है.

केस स्टडी-1
शहर के कोसी घाट, ब्रह्मचारी मैदान के समीप बनाये गये घाट, बेगना नहर घाट, संतोषी कॉलोनी घाट, ललियाही घाट सहित कई अन्य घाटों की स्थिति काफी खराब है. इन छठ घाटों की साफ-सफाई पिछले 15 दिनों से हो रही थी. छठ पूजा में घाट चकाचक हो गये थे, पर छठ पूजा समाप्त होते ही घाट पर मौजूद अपशिष्ट पदार्थ व केला के थंब को नदी, तालाब व पोखर में फेंक दिया गया. इससे पानी प्रदूषित होने लगी है. नदी, तालाब, पोखर देखने से ही काफी गंदगी भरा लग रहा है.
केस स्टडी-2
शहर के बीएमपी घाट, विजय बाबू पोखर आदि घाट के अपशिष्ट सामग्री को स्थानीय पोखर में फेंक दिया गया. इससे तालाब व घाट पर चले साफ सफाई अभियान पर पानी फिर गया है. पोखर,तालाब में घुसने लायक स्थिति भी नहीं रही है. शहर में करीब 37 घाट पर इस बार छठ पूजा का आयोजन हुआ.
कमोवेश सभी घाटों की स्थिति यही रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी गंगा, कोसी एवं महानंदा नदी में बनाये गये घाट की भी स्थिति ऐसी ही रही है. घाट का सभी अपशिष्ट पदार्थ नदी में फेंक दिया गया. छोटे नदी, पोखर, तालाब में भी यही स्थिति देखी गयी. दरअसल छठ पूजा पहले इसको लेकर जितनी साफ सफाई के प्रति लोग सजग रहते हैं. छठ पूजा के समाप्त होते ही स्वच्छता एवं साफ सफाई के प्रति उदासीन हो जाते हैं.
केस स्टडी-3
छठ पूजा संपन्न होने के बाद शहर के कारी कोसी छठ घाट, मनिहारी में गंगा घाट, बरारी में गंगा व बरंडी घाट, कुरसेला में गंगा घाट, अमदाबाद में गंगा व महानंदा घाट, आजमनगर में महानंदा घाट आदि की स्थिति बदतर हो गयी है. छठ पूजा के बाद लोगों के द्वारा फेंके गये प्लास्टिक के कचरे, बोतल, दीया आदि से पूरा छठ घाट गंदा हो गया है.
अब इसकी सफाई भी नहीं होगी. इस ओर न प्रशासन का कोई ध्यान है न ही जनप्रतिनिधियों व स्वयंसेवी संगठनों का ही कोई ध्यान है. जिस तरह छठ पूजा के पहले घाटों की सफाई की गयी यदि उसी तरह छठ पूजा संपन्न होने के बाद सफाई कर दी गयी होती, तो काफी अच्छा होता और नदियों को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.
स्वच्छता की खुली पोल
स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारत को स्वच्छ बनाने को लेकर कई तरह की मुहिम चल रही है. राजनीतिक दल से जुड़े नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ साथ शासन-प्रशासन से जुड़े अधिकारी कर्मचारी ने भी झाड़ू पकड़ कर साफ सफाई अभियान को चलाया है, जबकि जमीन पर स्थिति इसके विपरीत है. छठ पर्व के मौके पर लोक आस्था के महापर्व छठ को स्वच्छता के नजरिये से भी देखा जाता है.
हालांकि महापर्व छठ कई तरह का संदेश भी देता है. उसी में स्वच्छता का संदेश भी छुपा हुआ है. पर छठ पर समाप्त होते ही स्वच्छता अभियान की भी हवा निकल जाती है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है. छठ पर्व समाप्त होते ही घाट पर मौजूद सभी तरह के अपशिष्ट पदार्थ व केले के थंब आदि को नदी, तालाब, पोखर में फेंक दिया गया. इससे पानी दूषित होने लगा है. अगर यही स्थिति रही तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार द्वारा अक्तूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ घोषित करने का ड्रीम प्रोजेक्ट कैसे पूरा होगा.

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