लोग परेशान हैं. विभागीय आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, जिले में 4600 से अधिक चापाकलों के बंद पड़े होने की शिकायत मिली है. वहीं शहर में भी लगभग दो हजार से अधिक चापाकल मरम्मत की सुस्त रफ्तार के चलते बेमरम्मत पड़े हुए हैं. लेकिन, अभी तक महज 616 चापाकलों की ही मरम्मत की जा सकी है. कैमूर के सदर प्रखंडों के एकौनी, डीहरमा, शुकुलपुरवा, चिताढ़ी, मदनपुरा समेत तमाड़, तमाढ़ी, मिरियां, कीर, बहेरा, बहुअन, कोरी, कमता, परसियां आदि गांवों में चापाकल तो विभाग द्वारा कई गाड़े गये हैं.
लेकिन, लोग पूछने पर बताते हैं कि गांव में चापाकल तो कई गाड़े गये हैं. लेकिन, सब बेमतलब के साबित हो रहे हैं. गली में लगे चापाकल कई माह से बंद पड़े हैं. इसकी सूचना विभाग को भी दे दी गयी है. लेकिन, सुनता कौन है. पूछताछ पर बताया जाता है कि मरम्मत टीम जायेगी. लेकिन, जब गरमी ही निकल जायेगी तो उन चापाकलों का औचित्य क्या रह जायेगा. गौरतलब है कि पानी कि किल्लत वाले पहाड़ी प्रखंड अधौरा के भी विभिन्न गांवों में डेढ़ सौ के करीब चापाकल बंद पड़े हैं. दुर्गावती प्रखंड में 418 तो मोहनिया में भी 653 चापाकल बंद पड़े हैं. हालांकि, विभागीय दावा है कि चापाकलों को यथाशीघ्र चालू कर लिया जायेगा.