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बस! कागज पर ही जल रहे अलाव
लापरवाही. फंड हैे, पर अफसरों का ध्यान नहीं ठंड से ठिठुरते गरीब किससे करें फरियाद! भभुआ सदर : कैमूर जिले में तेज हवा से कनकनी बढ़ गयी है. इससे जनजीवन पूरी तरह बेपटरी पर है. चार दिनों से पछुआ हवा के साथ बह रही शीतलहर से शहर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इससे […]
लापरवाही. फंड हैे, पर अफसरों का ध्यान नहीं
ठंड से ठिठुरते गरीब किससे करें फरियाद!
भभुआ सदर : कैमूर जिले में तेज हवा से कनकनी बढ़ गयी है. इससे जनजीवन पूरी तरह बेपटरी पर है. चार दिनों से पछुआ हवा के साथ बह रही शीतलहर से शहर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इससे गरीब तबके के लोग ज्यादा परेशान हैं. उनकी दिन व रात ठिठुर कर बीत रही है.गरीबों को ठंड से राहत दिलाने के लिए जिला आपदा सहित नगर पर्षद व स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. शायद इन विभागों ठंड से किसी की मौत होने का इंतजार है.
यह हाल तब है जब बिहार आपदा प्रबंधन ने जिले को पचास हजार रुपये आवंटित कर चुका है. जिला आपदा विभाग ने भी प्रत्येक प्रखंड को तीन-तीन हजार रुपये और नगर पर्षद भभुआ व नगर पंचायत मोहनिया को पांच-पांच हजार रुपये अलाव जलाने के लिए भेज चुका है, लेकिन कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है.
अफसरों तक नहीं पहुंचा ठंड का कहर !: जिले में कड़ाके की ठंड से आमजन बेजार हैं, लेकिन कहर ढाती ठंड अभी तक जिला प्रशासन के अधिकारियों तक नहीं पहुंच पायी है. वैसे तो नगर पर्षद शहर में अलाव जलाये जाने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके उलट है.
अलाव तो जलाना दूर अब तक जिला प्रशासन ठंड से लड़ रहे गरीब, बेसहारा लोगों को कंबल भी नहीं उपलब्ध करा सका है. हर साल ठंड आते ही कंबल व अलाव के लिए कवायद की जाती थी. शहर से लेकर गांव तक अलाव जलाने की व्यवस्था के साथ-साथ गरीबों में कंबल बांटे जाते थे.
इक्का-दुक्का जगह छोड़ कर इस साल यह दोनों ही काम अब नहीं हुए हैं. दिसंबर खत्म होने के बावजूद ठंड से गरीबों को बचाने की योजना काे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. शुक्र है कि अभी तक शहर में ठंड से कोई अनहोनी नहीं हुई है. प्रशासन कान में तेल डाले बैठा है.
गरीब, गरीबी व ठंड की रात
सरकारी महकमे में यह उक्ति प्रचलित है कि योजनाएं गरीबों के लिए ही बनती है, लेकिन जिले रहनुमाओं को गरीब और उसकी गरीबी से उन्हें कोई मतलब नहीं है. अखलासपुर बस स्टैंड में रोजाना रात को सोनेवाले रिक्शा चालक विनोद राम ने बताया कि पुराने कंबलाें के सहारे रोजाना रात को ठंड से चुनौती लेता हूं, लेकिन अब तक किसी ने हमारी फिक्र नहीं की है. गौरतलब है कि ऐसे दर्जनों लोग हैं, जो रोजाना बस स्टैंड, एकता चौक, सब्जीमंडी, पटेल चौक, सदर अस्पताल, जेपी चौक पर बेबसी में ठंड की रात गुजार रहे हैं, लेकिन कहर ढाती ठंड से गरीबों के बचाव के लिए अब तक कोई उपाय नहीं किये जा सके हैं.
सबसे ठंडा दिन रहा शुक्रवार
इस वर्ष का सबसे ठंडा दिन शुक्रवार रहा. कड़ाके की ठंड होने के कारण शुक्रवार को शहर का जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. ठंड के चलते लोगों की दिनचर्या देर से शुरू हुई. शुक्रवार को शहर का न्यूनतम तापमान जहां 10 डिग्री सेल्सियस पर आ गया. अधिकतम तापमान भी 19 डिग्री तक नीचे आ गिरा. शुक्रवार को जबरदस्त ठंड और अलाव की व्यवस्था नहीं रहने से शहर में कई जगह लोगों ने कूड़ा इकट्ठा कर अलाव जलाया और ठंड से बचने की कोशिश की. चार दिनों से सूर्यदेव के दर्शन नहीं होने से भी ठंड में इजाफा हुआ है.
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