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जिले में मजदूरों की कमी से रोपनी की रफ्तार सुस्त
भभुआ (नगर) : दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गये मजदूरों के कारण जिले में धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. इस कारण किसान काफी परेशान हैं. मजदूरों के नहीं मिलने से धान रोपनी का प्रतिशत आगे नहीं बढ़ पा रहा है. अधिकतर जगहों पर महिला मजदूर की बदौलत ही रोपनी की जा रही है. […]
भभुआ (नगर) : दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गये मजदूरों के कारण जिले में धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. इस कारण किसान काफी परेशान हैं. मजदूरों के नहीं मिलने से धान रोपनी का प्रतिशत आगे नहीं बढ़ पा रहा है. अधिकतर जगहों पर महिला मजदूर की बदौलत ही रोपनी की जा रही है.
समय पर बारिश न होने और क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम होने की वजह से काफी मजदूर अन्य प्रदेशों में पलायन कर गये हैं. इसकी वजह से रोपनी के लिए मजदूरों की तालाश में किसान दर-दर भटक रहे हैं. गौरतलब है कि जिले में इस बार एक लाख 10 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन, ससमय रोपनी का काम शुरू न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं.
इस बार मौसम विभाग की सूचना के अनुसार अच्छी व समय पर बारिश को लेकर किसान समय पर रोपनी हो जाने की उम्मीद में थे. लेकिन, आर्द्रा नक्षत्र में बारिश नहीं हुई, तो धीरे-धीरे सूखे की आशंका देख मजदूर दूसरे प्रदेशों में कमाई के लिए पलायन कर गये.
इस कारणगांव में केवल महिला मजदूर ही बच गयी हैं. धान की रोपनी कर रहीं सीवों गांव की विंदा देवी ने बताया कि इस बार तीन साल बाद बेहतर बारिश की आस में पति सहित अन्य गांव में रूक गये थे. बटाई पर खेत लिया है व दूसरे के खेतों में भी रोपनी का काम करते हैं. लेकिन, जब आर्द्रा नक्षत्र में पानी नहीं बरसा, तो पति सहित गांव के कई मजदूर पंजाब व दिल्ली रोजगार की तलाश में निकल गये हैं.
किसान शोभनाथ का कहना है कि तीसरे वर्ष भी बारिश ने धोखा दिया है. धान रोपनी का शुरुआती नक्षत्र आद्रा है. इसमें भरपूर पानी होने से आगे धान की बेहतर फसल होती है. जुलाई के मध्य में पुनर्वसु नक्षत्र के अंतिम में जो बारिश हुई वह भी मध्यम ही रही. इससे ऊपरी खेत क्या, निचले खेतों में भी पानी का अभाव है.
किसान संतोष सिंह ने कहा कि धान का बिचड़ा तो सूखे की मार सेबेहतर लंबाई नहीं ले सका, फिर भी यूरिया का छिड़काव कर उसे बड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. उस पर मजदूरों के पलायन कर जाने से रोपनी के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है. गांव में सिर्फ महिला मजदूर रह गयी हैं. मजदूरों की कमी के कारण रोपनी करने वाले मजदूर भी रोपाई का मूल्य मनमाना कर दिये हैं. एक-एक मजदूर तीन-तीन जगहों पर रोपनी कर रहे हैं. जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस प्रकार की रोपनी हो रही होगी.
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