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मोहनिया से पटना तक सफर मुश्किल

परेशानी. एनएच 30 की स्थिति खराब मोहनिया (सदर) : एक तरफ कई नयी सड़कों को नेशनल हाइवे का दर्जा देकर केंद्र व राज्य की सरकार उनकाे करोड़ों की लागत से विस्तार करने की तैयारी में है, वहीं मोहनिया को पटना से जोड़ने वाले एनएच 30 पर किसी का ध्यान नहीं है. सरकार व विभाग की […]

परेशानी. एनएच 30 की स्थिति खराब

मोहनिया (सदर) : एक तरफ कई नयी सड़कों को नेशनल हाइवे का दर्जा देकर केंद्र व राज्य की सरकार उनकाे करोड़ों की लागत से विस्तार करने की तैयारी में है, वहीं मोहनिया को पटना से जोड़ने वाले एनएच 30 पर किसी का ध्यान नहीं है. सरकार व विभाग की उपेक्षा के कारण यह नेशनल हाइवे दिनों दिन जानलेवा होता जा रहा है. आज आलम यह है कि भले ही अधिक दूरी व जाम का सामना करना पड़े, पर इस रास्ते से गुजरना लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं. विवश होकर लोग इस रास्ते से आवागमन करते हैं.
पांच की जगह लगते हैं
आठ घंटे : एक समय था जब लोग इस रोड से मोहनिया से पटना तक लगभग 220 किमी की दूरी करीब पांच से छह घंटे में आसानी से तय कर पहुंच जाते थे, लेकिन पिछले करीब पांच वर्षों से रख रखाव के अभाव में यह रोड काफी क्षतिग्रस्त हो गयी है. इस पथ पर कहीं-कहीं तो तीन फिट गहरे गड्ढे भी बन चुके हैं. नतीजा यह है कि वाहनों को रेंगते हुए निकलना पड़ता है. इसकी वजह से पांच घंटे का सफर अब आठ से 10 घंटे का हो गया है. इसके खराब होने से जहां सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गयी हैं, वहीं नये वाहन भी समय से पहले खटारा हो रहे हैं.
बेलवैयां से गुनसेज तक कुछ ठीक है रास्ता : कुदरा नदी पर बने पुल के बाद सड़क पर उभरे गड्ढों से सामना शुरू होता है, जो बेलवैयां तक यात्रियों की हालत खराब कर देता है. करीब 30 किमी की दूरी के बीच वाहन को दो या तीन नंबर में ही चलना पड़ता है. थोड़ी राहत तब बेलवैयां से आगे बढ़ने पर मिलती है. करीब आठ किमी यानी गुनसेज तक सड़क कुछ ठीक है. उसके बाद फिर आरा तक हिचकोले खाते हुए सफर करना होगा.
कुदरा नदी पर बना पुल भी खतरनाक : कैमूर व रोहतास जिला की सीमा का बंटवारा करने वाली कुदरा नदी पर बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो चुका है. इससे गुजरने के दौरान यदि जरा सी चूक हुई तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है. पुल के बीच भाग में करीब दो फिट गहरे व बड़े गड्ढे उभर आये हैं. पुल की रेलिंग भी टूटी हुई है. वर्ष 2015 में पुल पर बने इसी गड्ढे से बचने के दौरान एक कार पुल की रेलिंग से टकराती हुई नदी मे लटक गयी थी. भाग्य अच्छा था कि उसमें सवार लोगों की जान बच गयी.
सड़क पर उभरे अनगिनत गड्ढे
सड़क इतनी खराब है, फिर भी सरकार व विभाग ध्यान नहीं दें रहा है. हमने तो एनएच 30 से पटना जाना ही छोड़ दिया है.
सुनील कुमार सिंह, जिला पर्षद
नेशनल हाइवें 30 से पटना जाने का मतलब है जान बूझ कर मौत को दावत देना. सड़क इतनी जर्जर है कि कब दुर्घटना हो जायेंगी कह पाना मुश्किल है.
मुन्ना चौधरी, व्यवसायी
अपनी गाड़ियों से हमेशा पटना जाना आना होता है. इस जर्जर सड़क से नयी गाड़ी भी खटारा हो गयी. अब इस रास्तें को ही छोड़ दिया है.
सुहैल खान
अक्सर कॉलेज के काम से आरा व पटना जाना होता है. इस पर चलना बिल्कुल हो गया है. सासाराम होकर ही जाते हैं.
डाॅ अनिल कुमार, प्राचार्य, एमपी कॉलेज

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