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भोटे का दिन सब फैसला होई

कैमूर जिला यूपी से सटा हुआ जिला है. इसलिए यहां का मन-मिजाज और सामाजिक समीकरण बहुत कुछ बिहार के अन्य इलाकों से थोड़ा अलहदा है. कैमूर जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं. यहां कई दिग्गज चुनाव मैदान में हैं. सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने यहां चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय मुद्दे तो उठाये, […]

कैमूर जिला यूपी से सटा हुआ जिला है. इसलिए यहां का मन-मिजाज और सामाजिक समीकरण बहुत कुछ बिहार के अन्य इलाकों से थोड़ा अलहदा है. कैमूर जिले में विधानसभा की चार सीटें हैं. यहां कई दिग्गज चुनाव मैदान में हैं. सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने यहां चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय मुद्दे तो उठाये, लेकिन स्थानीय मुद्दे सिरे से गायब रहे.

यहां दूसरे चरण के तहत 16 अक्तूबर को वोट होने वाले हैं. मतदाता खामोश हैं. धान का कटोरा कहे जाने वाले इस इलाके में जिस किसी से पूछिए, वह बतायेगा कि अभी तो गुणा भाग हो रहा है. कैमूर के चुनावी स्थिति का जायजा लिया प्रभात खबर के गया संस्करण के संपादक कौशल किशोर त्रिवेदी ने.

‘अभी कुछ बुझाता जी? केहु कुछ कहता, केहु कुछ बोलता. समङो में नइखे आवत कि ऊंट कवना करवटे बइठी.’ कुदरा फ्लाइओवर के पास खड़े एक सज्जन से बातें करते हुए एक युवक कुछ इसी अंदाज में अपनी राय देता है.

दरअसल, मोहनिया से कुदरा लौट रहे दूसरे सज्जन अपनी मोटरसाइकिल पर बैठे-बैठे उससे जानना चाहते हैं कि इलाके का चुनावी माहौल कैसा है. युवक की बात सुन कर वह स्वयं कहते हैं कि बहुत कड़ी लड़ाई है. कोई किसी से कम नहीं दिख रहा है. युवक फिर से भोजपुरी में बोलना शुरू करता है.

कहता है, ‘जेकरे से पूछीं कि चुनाव का बारे में का बुझाता, लोग बोली कि कुछुओ समङो में नइखे आवत. हमारा त समझ में आवता कि के केने रही, एकर सब फैसला भोटे का दिन होई.’ मंगलवार को यहां सेब व केले का भाव पूछने के बहाने खड़े प्रभात खबर के प्रतिनिधि इनकी बातें सुनते हुए अपने सहयोगी के साथ एनएच-2 से ही आगे मोहनिया की दिशा में बढ़ते हैं. 15 मिनट बाद मोहनिया पहुंचने पर पता चलता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्रम है. जगजीवन मैदान में.

मोहनिया में मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले ही मैदान में लोग आ जुटे हैं. हेलिकॉप्टर देखने का भारी उत्साह है. मोहनिया अनुमंडलीय अस्पताल के करीब एक किशोर को रोक कर बात करने की कोशिश करने पर कहता है, ‘जल्दी-जल्दी पूछीं महराज.

हमार छोट भाई होने मैदान में चल गइल बा. ओकरा के खोजे जा तानी. ’ यह कहते हुए वह तेजी से सभास्थल की ओर भाग जाता है. यहीं नुआंव से आये किराना व्यवसायी नागेश्वर साह कहते हैं, ‘बचवा सब हर मीटिंगवे में जा रहा है. इससे इनको का लेना-देना कि किसकी सभा है, किसका भाषण है. इ लोग सब हेलिकॉप्टर का दिवाना है.’

थोड़ी देर बाद ही यहां सीएम का हेलिकॉप्टर मंडराने लगता है. बच्चों का झुंड इस तरह हेलिपैड की ओर भागता है, मानो हेलिकॉप्टर उतरे इससे पहले ही हर किशाोर इसे लपक लेना चाहता हो. सीएम धारा प्रवाह अपनी बातें रखते हुए वह अपने विरोधियों पर चुनावी हमले बोलते हैं. उनका संबोधन खत्म होते ही फिर पूरी भीड़ की नजर मानो हेलिकॉप्टर ही टिक जाती है.

यहां से प्रभात खबर प्रतिनिधि का रुख रामगढ़ की ओर होता है. रामगढ़ प्रखंड मुख्यालय से बाजार की दूरी मोहनिया से करीब 15 किलोमीटर है. इस विधानसभा क्षेत्र की सीमा चौरसिआ के पास से ही शुरू हो जाती है. चौरसिआ में ही पावर हाउस के करीब मोहनिया-रामगढ़ रोड पर सड़क किनारे ट्रैक्टर लिये खड़े ललन प्रसाद से मुलाकात होती है. साथ में तीन दूसरे लोग भी हैं.

ललन प्रसाद कहते हैं, ‘सही पूछीं त केहू साफ नइखे बोलत. सभे सामनेवाला के हं कहता आ पीछे वाला के नां. अब सोचीं कि एसे का बुझाई? केहू पर विश्वास करे जइसन नइखे महराज. अइसने जमाना बा जी. लोग बहुत चालू हो गइल बा.’

यहां से रामगढ़ पहुंचते हीं एक बार फिर मोहनिया जैसा दृश्य दिखता है. यहां भी बच्चे बड़ी संख्या में सड़क के इर्द-गिर्द एक-दूसरे के आगे-पीछे भागते-गिरते दिखते हैं. दरअसल, यहां भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की सभा है. वह भी हेलिकॉप्टर से ही आये हैं. यहीं चाय पीने के बहाने रामगढ़ उच्च विद्यालय के गेट के करीब मुख्य सड़क पर एक चाय दुकान पर राजनीतिक चर्चा करते लोगों को सुनने का अवसर मिलता है. तीन लोग एक साथ हैं. तीनों की उम्र 60 से अधिक है. यहीं चाय पीने बैठे हैं. पारस तिवारी कहते हैं कि अभी कहना मुश्किल है कि कौन किस पर भारी है.

रामगढ़ से वापस मोहनिया होते हुए भभुआ की दिशा में अहिनौरा से पहले ही एक जगह वाहनों की जांच-पड़ताल के लिए खड़े सुरक्षाकर्मियों की तत्परता से कई गाड़ियां दोनों तरफ खड़ी हो गयी हैं. यहीं एक मालवाही वाहन लिये पहुंचा एक चालक झल्लाते हुए बरस पड़ता है.

वह कहता है, ‘बाप रे, अइसन चुनाव ना देखनीं. लोकसभा का चुनौआ में भी त अइसन ना रहे. बताईं कदम-कदम पर गाड़ी रोकाता. इ कवनो बात भइल? एसे त अच्छा जे भोटे ना होइत. जेकरा दम होखी से गद्दी पर बइठल रही. हद बा महाराज.’ दरअसल, वह अपने फोन से किसी को जांच के नाम पर हो रही फजीहत की दास्तां सुना रहा है.

पूछने पर अपना नाम कन्हैया बताता है और घर चैनपुर इलाके में. चुनाव के बारे में चर्चा करने पर कहता है, ‘हमलोगों के इलाके में भी कदम-कदम पर जांच हो रही है. गाड़ियां पकड़ी जा रही हैं. लोग परेशान हो रहे हैं. भभुआ पहुंचने पर शहर में प्रवेश करने से पहले ही अखलासपुर के पास हरेराम कुशवाहा से मुलाकात होती है. गाड़ी खोज रहे हैं. लकड़ी लादने के लिए. बातचीत में बोले, कोई यह नहीं कहनेवाला कि कौन किधर है और किधर नहीं. यह भी कि जिसे वोट देना है, वह किसी एक तरफ तो वोट डालेगा ही.

पर कोई बोलेगा नहीं. जो बोलना होगा, रिजल्ट के दिन मशीन ही बोलेगी. इसी बीच उन्हें गाड़ी उपलब्ध कराने के लिए पहुंचे मदन सिंह भी बातचीत में शामिल हो गये – ‘सरकार किसी की बने, अब उसे काम करना पड़ेगा. लोग काम पहचानने लगे हैं. उसका महत्व समझने लगे हैं. लोगों को पता चल गया है कि आगे बढ़ने-बढ़ाने में सड़क, बिजली, बस-गाड़ी, फोन-फान का बहुत महत्व है. देखिये, खाली मोबाइल से कितना फायदा है. कितना तेल और समय रोज बच जाता है. यह कम थोड़े न है? इससे फरक तो पड़ता ही है. अब काम नहीं करनेवाली कोई भी सरकार लोगों को रास नहीं आनेवाली.’

वोटर/प्रत्याशी महागंठबंधन एनडीए अन्य

रामगढ़ 255133/13 अंबिका सिंह (राजद) अशोक कुमार (भाजपा) बबन सिंह (माले)

मोहनिया 247760/14 संजय कु पासी (कांग्रेस निरंजन राम(भाजपा) मुन्ना राम (माले)

भभुआ 245681/20 प्रमोद कु सिंह (जदयू) आनंद भूषण भाजपा) बलराम चौधरी भाकपा)

चैनपुर 288212/14 महाबली सिंह (जदयू) ब्रजकिशोर सिंह (भाजपा) रंगलाल पासवान (माकपा)

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