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सदर अस्पताल की जांच रिपोर्ट में भी नहीं दिखती है स्पष्टता !

टेक्नीशियन करते हैं जांच, बाहर के डॉक्टर सदर अस्पताल की रिपोर्ट को सही मानने से करते हैं इनकार भभुआ सदर : माना जाता है कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टर और बिना रजिस्ट्रेशन के पैथोलॉजी लैब चलाना गैर कानूनी है. इस संबंध में कोर्ट व प्रशासन का भी सख्त आदेश है. लेकिन, भभुआ में सरकारी संस्थान ही […]

टेक्नीशियन करते हैं जांच, बाहर के डॉक्टर सदर अस्पताल की रिपोर्ट को सही मानने से करते हैं इनकार
भभुआ सदर : माना जाता है कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टर और बिना रजिस्ट्रेशन के पैथोलॉजी लैब चलाना गैर कानूनी है. इस संबंध में कोर्ट व प्रशासन का भी सख्त आदेश है.
लेकिन, भभुआ में सरकारी संस्थान ही इस नियम का पालन नहीं हो रहा है. बल्कि, सदर अस्पताल भभुआ में ही इस नियम कानून को ताक पर रखते हुए कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. यहां लैब बिना पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर के ही चल रहा है. सदर अस्पताल में कई वर्षों से पैथोलॉजिस्ट का पद रिक्त पड़ा है. इस वजह से महज टेक्नीशियन के भरोसे मरीजों की हर तरह की जांच की जा रही है.
सदर अस्पताल में पैथोलॉजी चिकित्सक के नहीं रहने के बावजूद मरीजों के रक्त जांच सहित विभिन्न प्रकार की जांच रिपोर्ट दी जा रही है और उस रिपोर्ट की जवाबदेही तय नहीं होने की वजह से डॉक्टर से लेकर मरीज तक इस रिपोर्ट को सही जान लेते हैं. लेकिन, सदर अस्पताल की जांच रिपोर्ट को वाराणसी या अन्य कहीं के डॉक्टर रिपोर्ट को विश्वासी नहीं मानते हैं. क्योंकि, रिपोर्ट में किसी चिकित्सक के हस्ताक्षर नहीं होते हैं
ऐसे में बाहर के डॉक्टरों का कहना होता है कि इस रिपोर्ट को कैसे माने. इस स्थिति में मरीजों को वहां फिर से पैथोलैब में जांच करा कर रिपोर्ट लाने को कहा जाता है, तब जाकर मरीज का इलाज शुरू होता है. इससे मरीजों को और उनके परिजनों को परेशानी भी होती है. समय से जांच नहीं उपलब्ध होने के चलते कभी-कभी तो इलाज के क्रम में भी मौत हो जाती है.
सरकार के स्तर से नहीं की गयी है नियुक्ति: सदर अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर की अनुपलब्धता पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ प्रेमराजन कहते हैं कि सरकारी स्तर से ही सदर अस्पताल में अब तक पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की जा सकी है. पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर के नहीं रहने के चलते टेक्नीशियन से ही मजबूरन काम लेना पड़ता है.
सौ से अधिक मरीजों की हर दिन होती जांच
जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल में प्रतिदिन सौ से अधिक मरीजों के खून सहित अन्य जांच होती है. वह भी बिना पैथोलॉजिस्ट के तैयार रिपोर्ट के आधार पर ही मरीजों को दवा भी दी जाती है. बिना चिकित्सक के मरीजों की जांच कैसे हो रही है और क्या रिपोर्ट दी जा रही है.
यह देखनेवाला कोई नहीं है. इससे प्रतीत होता है कि मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो रहा है. वैसे भी सदर अस्पताल मरीजों को रेफर करने के लिए पहले से ही बदनाम रहा है. सदर अस्पताल के पैथलैब में वर्तमान में मात्र एक ही टेक्नीशियन कार्यरत हैं. वह भी मात्र सुबह आठ बजे से लेकर दो बजे तक अपने किये गये कार्य को ही अपनी ड्यूटी समझते हैं. बाकी समय अस्पताल में कोई जांच नहीं होती है. हालांकि, सदर अस्पताल में 24 घंटे जांच की सुविधा उपलब्ध रहने का दावा सिविल सर्जन सहित उनके मातहतों द्वारा अक्सर किया जाता है.
वहीं, जानकारों की माने तो टेक्नीशियन द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर ही मरीजों को दवा की जाती है. यदि टेक्नीशियन ने गलत रिपोर्ट दी है तो दवा भी गलत ही चलेगा. जबकि, नियम यह है कि टेक्नीशियन जांच रिपोर्ट बनायेंगे, उसे पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर दुबारा जांच करेंगे कि रिपोर्ट सही है या नहीं. इसके बाद जांच रिपोर्ट पर डॉक्टर के हस्ताक्षर होंगे तब मरीजों को रिपोर्ट दी जाती है. लेकिन, सदर अस्पताल में टेक्नीशियन की जांच रिपोर्ट पर ही काम किया जा रहा है और मूलत: टेक्नीशियन ही जांच करते हैं.
नि:शुल्क व शुल्क लेकर टेस्ट की व्यवस्था
सदर अस्पताल में नि:शुल्क आधारित टेस्ट में यहां आठ प्रकार के टेस्ट किये जाते हैं, जिसमें एचआइवी से लेकर मलेरिया, यूरीन, हिमोग्लोबिन, टीएलसी, डीएलसी, ईएसआर, वीडीआरएल, बीटी, सीटी आदि शामिल है. जबकि, शुल्क आधारित टेस्ट में 23 प्रकार के टेस्ट की व्यवस्था है. इसमें ब्लड शुगर, यूरीन एसिड, आरएएफ, प्रोटिन, एनएफटी, केएफटी, सीआरपी, एएसओ, एसजीपीटी, एसजीओटी सहित अन्य टेस्ट किये जाते हैं. जांच के बदले जो शुल्क लिया जाता है वह बाजार से कम होता है.

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