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डेड लाइन खत्म, कोचिंग संस्थानों का निबंधन नहीं

जिले में कोचिंग संस्थानों की संख्या में दिन-प्रतिदिन लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन सरकारी मानकों के मुताबिक खरे नहीं उतर रहे. सरकार द्वारा निबंधन के लिए जारी गाइड लाइंस को भी कोचिंग ठेंगा दिखा रहे हैं. सरकार की डेड लाइन तो खत्म हो गयी, एक भी संस्थान ने निबंधन नहीं कराया. जहानाबाद : राज्य […]

जिले में कोचिंग संस्थानों की संख्या में दिन-प्रतिदिन लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन सरकारी मानकों के मुताबिक खरे नहीं उतर रहे. सरकार द्वारा निबंधन के लिए जारी गाइड लाइंस को भी कोचिंग ठेंगा दिखा रहे हैं. सरकार की डेड लाइन तो खत्म हो गयी, एक भी संस्थान ने निबंधन नहीं कराया.

जहानाबाद : राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2010 में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं एवं विषयों की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाया गया था, लेकिन इस कानून पर अबतक अमल नहीं हो पाया है. करीब सात वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले में अब तक एक भी कोचिंग संस्थान का निबंधन नहीं हो पाया है. निबंधन कराने की अंतिम तिथि कई बार राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गयी. लेकिन किसी भी कोचिंग संस्थान ने निबंधन में रुचि नहीं दिखायी.
एक बार फिर 30 जनवरी तक निबंधन कराने की नयी तिथि सरकार ने तय की थी, लेकिन इस बार किसी भी कोचिंग संस्थान द्वारा निबंधन नहीं कराया गया. शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा 14 दिसंबर 2016 को अपने निर्देश में सभी डीएम से कहा गया था कि बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम 2010 के प्रावधान के आलोक में एक माह अभियान चलाकर कोचिंग संस्थानों का निबधंन कराया जाए. एक माह बीतने के बाद फिर एक माह के डेड लाइन का विस्तार कर इसे 30 जनवरी 2017 तय किया गया था. इससे पूर्व 11 जून 2010,13फरवरी 2012 और 07 जुलाई 2016 को इस संबंध मे निर्देश जारी किया गया था, लेकिन एक भी कोचिंग संस्थान द्वारा निबंधन कराने मे रुचि नहीं दिखायी. जबकि जिले में कोचिंग संस्थानों की भरमार है.
जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के नाम पर आधी-अधूरी जानकारी दी जाती है.
निबंधन के उपरांत अनिवार्य रूप से देनी होगी सुविधाएं: कोचिंग संस्थानों में समुचित उपकरण बेंच-डेस्क की व्यवस्था,पर्याप्त प्रकाशीय व्यवस्था (विद्युतिकरण),पेयजल की सुविधा, जल मल निकासी और स्वच्छता की सुविधाएं,अग्निशामक की व्यवस्था,आकस्मिक चिकित्सा सुविधा,साइकिल एवं वाहन पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए.
प्रति बैच कितने बच्चों को एक साथ पढ़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित है: आधारभूत संरचना के मुताबिक वर्ग का न्यूनतम क्षेत्र प्रति छात्र लगभग एक वर्ग मीटर होना चाहिए. जबकि शहरी इलाके समेत जिले में संचालित किसी भी कोचिंग संस्थान में ऐसी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.
अधिनियम के उल्लंघन पर क्या है सजा: राज्य सरकार द्वारा बनाये गये बिहार कोचिंग संस्थान एवं नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम का पहली बार उल्लंघन करने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा. दूसरी बार 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, तीसरी बार निबंधन रद्द करने का प्रावधान है.
तीन वर्षों के लिए होगा निबंधन
सरकार द्वारा बनाये गये बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम के तहत कोचिंग संस्थानों का निबंधन तीन वर्ष के लिए होगा. निबंधन के लिए पांच हजार रुपये की फीस देनी होगी. निबंधन के नवीकरण के लिए तीन हजार रुपये की फीस लगेगी. न्यूनतम स्नातक योग्यताधारी गैरसरकारी शिक्षकों या सेवानिवृत्त शिक्षकों द्वारा अध्यापन का कार्य संपन्न कराया जायेगा.जिले में कोचिंग संस्थानों के निबंधन के लिए निबंधन समिति बनी है जिसके अध्यक्ष जिला पदाधिकारी, सदस्य सचिव जिला शिक्षा पदाधिकारी, सदस्य पुलिस अधीक्षक एवं किसी अंगीभूत महाविद्यालय के प्राचार्य होंगे.

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