जहानाबाद : स्टेशन परिसर और प्लेटफाॅर्म पर सुरक्षा के बुनियादी इंतजाम नहीं हैं. यदि बात बिगड़ जाये, वारदात हो जाय तो ऐसी हालत में रेल पुलिस को डंडे की चोट से ही किसी तरह सुरक्षा की खानापूर्ति करनी पड़ती है. एक सीसीटीवी कैमरा लगाने की भी व्यवस्था अब तक नहीं हुई है. यदि किसी तरह की अप्रिय घटना हो जाय तो संदिग्धों को ढूंढ़ने में भी मुश्किल होगी. आये दिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे हैं, बावजूद इसके रेलवे प्रशासन सबक नहीं ले रहा है.
पॉकेटमार, छिनतई करने वाला गिरोह, चोर-उच्चके और सड़क छाप मजनुओं की हरकत अक्सर होती रहती है, लेकिन ऐसे तत्वों से निबटने के लिए रेल पुलिस के पास हथियार नहीं है. डंडे के सहारे ही उन पर यात्रियों की सुरक्षा की जिम्बेवारी है. देश में आये दिन आतंकवादी घटनाएं घटती है. आतंकियों द्वारा पब्लिक प्लेस को ही टारगेट बनाया जाता है, ताकि अधिक से अधिक नुकसान हो सके.
सुरक्षा एजेंसियां तो अलर्ट है, लेकिन अब भी ऐसे कई पब्लिक प्लेस हैं जिनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है. जहानाबाद रेलवे स्टेशन एवं पटना-गया रेलखंड के अन्य दूसरे स्टेशनों की स्थिति सुरक्षा के मामले में लचर है. यहां स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा का कोई विशेष इंतेजाम नहीं किया गया है.
रेलवे स्टेशन के पश्चिम चहारदीवारी नहीं : जहानाबाद स्टेशन के प्लेटफाॅर्म नंबर तीन के बाद चहारदीवारी नहीं है. ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा की बात करना बेमानी लगता है. इस रास्ते से असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है. उसकी गतिविधि प्लेटफाॅर्म और रेलवे परिसर में अक्सर होती रहती है. पूर्व के दिनों में असामाजिक तत्वों द्वारा कई अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है. इसे लेकर रेलवे प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया था,
लेकिन चहारदीवारी बनाने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. अभी हाल ही में दानापुर रेल मंडल के डीआरएम का दौरा जहानाबाद स्टेशन पर हुआ था और उन्होंने खुद प्लेटफाॅर्म नंबर तीन से चहारदीवारी की स्थिति देखी थी. लोगों को इंतजार है इस मामले में समुचित कार्रवाई होने की.
निहत्थे जवान करते हैं यात्रियों की सुरक्षा : पीजी रेल खंड के जहानाबाद सहित अन्य स्टेशनों पर या ट्रेनों में पॉकेटमारी, छिनतई की घटनाएं होती है यात्री अपने साथ हुई घटना की सूचना जीआरपी और आरपीएफ को देते हैं, लेकिन निहत्थे रेल पुलिस सिर्फ डंडा पटक कर रह जाती है. जहानाबाद रेल थाना में तीन पुलिस पदाधिकारी के अलावा चौदह हवलदार और सिपाही कार्यरत है. जिसमें ड्यूटी करने वाले जवानों के पास सिर्फ लाठी उपलब्ध है. इसी तरह आरपीएफ पोस्ट में अधिकारियों और जवानों की छमता 32 है. बलों के पास शस्त्र नहीं है.
झाझा की घटना के बाद बापस ले लिये गये थे हथियार : करीब 5-6 साल पूर्व झाझा और रफीगंज रेलवे स्टेशनों पर रेल पुलिस के साथ अप्रिय घटनाएं हुई थी. उस दौरान रेल पुलिस के हथियार लूटे गये थे. इन घटनाओं के बाद जीआरपी से जो हथियार वापस लिए गये उसे पुन: रेल थाने में नहीं दिया गया. बताया जाता है कि किसी विशेष स्थिति में सूचना मिलने पर दानापुर या पटना से सशस्त्र बलों को भेजा जाता है. इधर रेल पुलिस डंडे के सहारे ही असामाजिक तत्वों से निबटने के लिए विवश रहती है. भले ही हर रोज व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात होती रही हो, नयी-नयी रणनीति बनती हो मगर ये सभी फाइलों तक ही सिमट कर रह जाती है. इस तरह स्टेशन पर सुरक्षा के माकूल माहौल नहीं दिख रहा है.
जहानाबाद स्टेशन पर लगी याित्रयों की भीड़.
क्या कहते हैं स्टेशन प्रबंधक
रेलवे स्टेशन के पश्चिम चहारदीवारी नहीं रहने से असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है. सुरक्षा व्यवस्था निहत्थे रेल पुलिस के हवाले है. डंडे के सहारे अवांछित तत्वों से निपटा जाता है. विशेष परिस्थिती में लोकल पुलिस की मदद ली जाती है.
नरेंद्र सिंह चौधरी, स्टेशन प्रबंधक