Advertisement
वीरान पड़ी है शहर की औद्योगिक नगरी
गूंजती थी मशीनों की आवाज. मजदूरों की रहती थी चहलकदमी लेकिन आज पड़ा है वीरान. करीब 20 वर्ष पूर्व गुलजार रहने वाला शहर स्थित औद्योगिक प्रांगण का है यह हाल. इस प्रांगण की चार प्रमुख औद्योगिक इकाइयां जो बंद हुई उन्हें पुनर्जीवित करने की दिशा में कोई सार्थक कोशिश नहीं हुई. कई लोग बेरोजगार हो […]
गूंजती थी मशीनों की आवाज. मजदूरों की रहती थी चहलकदमी लेकिन आज पड़ा है वीरान. करीब 20 वर्ष पूर्व गुलजार रहने वाला शहर स्थित औद्योगिक प्रांगण का है यह हाल. इस प्रांगण की चार प्रमुख औद्योगिक इकाइयां जो बंद हुई उन्हें पुनर्जीवित करने की दिशा में कोई सार्थक कोशिश नहीं हुई. कई लोग बेरोजगार हो गये.
जहानाबाद : ताम-झाम के साथ शहर के निजामुद्दीनपुर के समीप औद्योगिक प्रांगण की स्थापना की गयी थी. चमड़ा उद्योग के दो सेंटर चर्मशोधन और चर्म वस्तु निर्मित सेंटर संचालित किये गये थे.
इसके अलावा ऊन बुनाई केंद्र भी संचालित किया गया था, जिसका वजूद पूरी तरह समाप्त हो गया है. चमड़ा उद्योग बंद होने का मामला अभी कोर्ट में लंबित पड़ा हुआ है. औद्योगिक प्रांगण के आस-पास के निवासियों ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया था. चमरा फैक्टरी से निकलने वाला दूषित पानी समीप की दरधा नदी में गिरता था. जिसे पीने से उनके मवेशी बीमार पड़ने लगे थे. कुछ की मौत भी हो गयी थी. कोर्ट में मामला दर्ज होने के बाद चमड़ा फैक्टरी जो बंद हुई, वह आज तक पुनर्जीवित नहीं हुई. जबकि लंबी अवधि बीत गयी. अब इस मामले में कोर्ट के आदेश का इंतजार है.
बल्ब व बाल्टी फैक्ट्री भी बंद : इसी औद्योगिक प्रांगण में जोर-शोर के साथ बाल्टी और बल्ब फैक्टरी खोली गयी थी. शुरुआती दौर में वहां निर्मित सामान की सूबे के विभिन्न जिलों में सप्लाइ की जाती थी.
लेकिन अब ऐसा नहीं होता. आवश्यक रख-रखाव एवं सरकारी सहायता के अभाव में इन दोनों उद्योगों का भी वजूद समाप्त हो गया. फैक्टरियों के बंद होने से धीरे-धीरे औद्योगिक प्रांगण वीरान होता चला गया. स्थिति यह है कि करीब आठ एकड़ में बनाये गये औद्योगिक प्रांगण के बड़े हिस्से में जंगल-झाड़ उगे हुए हैं.
बेरोजगार पड़े हैं सैकड़ों परिवार: करीब दो दशक पूर्व जब उद्योगों की स्थापना हुई थी, तो बड़ी संख्या में लोगों को काम के अवसर प्राप्त हुए थे. सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला था. लेकिन जब उद्योगों का वजूद समाप्त हो गया, तो उनपर मानो पहाड़ टूट पड़ा. वे बेरोजगार हो गये. कई लोग पलायन कर दूसरे राज्य में चले गये.
पीएमइजीपी के तहत किया जा रहा है जागरूक
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम केंद्र सरकार का एक ठोस निर्णय है. इसे प्रधानमंत्री रोजगार योजना और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को विलय कर बनाया गया है. लेकिन इसकी जानकारी कई लोगों ने को नहीं है. इस महत्वाकांक्षी योजना का अधिकाधिक लाभ बेरोजगारों तक पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस योजना के तहत उत्पादन क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये उद्योग लागत निर्धारित है. उत्पादन क्षेत्र में 10 लाख से अधिक एवं सेवा क्षेत्र में पांच लाख से अधिक की परियोजना लागत के लिए कम-से-कम आठवीं क्लास पास रहना आवश्यक है.
अधिकारियों व कर्मचारियों की है कमी
जिले में उद्योग धंधों के विकसित नहीं होने की दिशा में एक संकट यह भी है कि यहां उद्योग विभाग में कई पद रिक्त हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी से क्षेत्र का निरीक्षण समुचित ढंग से नहीं हो पाता है. जिला उद्योग केंद्र में प्रबंधक, कैशियर, फिल्ड ऑफिसर की कमी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत लघु उद्योगों को विकसित करने के लिए और संचालित हो रही इकाइयों को मजबूत करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. रेडिमेड, आटा मिल, तेल मिल, चूड़ा मिल, राइस मिल, फ्लावर मिल, स्टील आलमारी एवं गेट-ग्रिल सहित करीब 70 इकाइयां मिला-जुला कर चल रही हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी खल रही है. उपलब्ध कर्मियों की बदौलत लघु उद्योगों को विकसित करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
राय ज्ञानचंद्र, महाप्रबंधक उद्योग विभाग, जहानाबाद
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement