24.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

54 सालों से अभियंता विहीन है नप

नगर पर्षद के विकास कार्य पर पड़ रहा असर 1962 में नगरपालिका का हुआ था गठन, 2007 में नगर पर्षद का दिया गया दर्जा जहानाबाद : नगर पर्षद कई वर्षों से अभियंताओं की घोर कमी से जूझ रहा है. 54 साल बीत जाने के बाद भी एक भी कनीय अभियंता का पद अब तक सृजित […]

नगर पर्षद के विकास कार्य पर पड़ रहा असर
1962 में नगरपालिका का हुआ था गठन, 2007 में नगर पर्षद का दिया गया दर्जा
जहानाबाद : नगर पर्षद कई वर्षों से अभियंताओं की घोर कमी से जूझ रहा है. 54 साल बीत जाने के बाद भी एक भी कनीय अभियंता का पद अब तक सृजित नहीं होना गंभीर चिंता का विषय है. इसका सीधा असर नगर पर्षद क्षेत्र की विकास योजनाओं पर पड़ रहा है. अभियंताओं की कमी से विकास कार्य की रफ्तार धीमी है. वर्ष 1962 में जहानाबाद नगर पालिका का गठन हुआ था.
इसके पूर्व जहानाबाद अधिसूचित क्षेत्र की श्रेणी में था. जब नगरपालिका का गठन हुआ, उस वक्त शहर के वार्डों में विकास कार्य कराने के लिए एक अधि दर्शक का पद सृजित किया गया था और उन्हीं की देख-रेख में विकास कार्य कराये जाते थे. नगरपालिका गठन के 45 साल बाद वर्ष 2007 में नगर विकास विभाग ने जहानाबाद नगरपालिका को नगर पर्षद का दर्जा दिया. इसके साथ ही वार्डों की संख्या भी बढ़ कर 33 हो गयी.
नगर पर्षद का दायरा बढ़ने के साथ-साथ वार्डों में विकास कराने के लिए योजनाओं की संख्या में भी वृद्धि हुई. सरकार के द्वारा विकास मद में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये नगर पर्षद को दिये जा रहे हैं. विकास के कार्य हो भी रहे हैं, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है. कारण है अभियंता की कमी. 54 साल की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी आज तक नगर पर्षद में कनीय अभियंता का एक भी पद सृजित नहीं किया गया है.
प्रतिनियुक्ति पर हैं जिप के एक जेइ: विकास कार्यों में तकनीकी गुणवत्ता बनाये रखने के लिए और विकास कार्य कराने के लिए विगत कुछ वर्षों से जिला पर्षद के एक कनीय अभियंता सत्येंद्र कुमार की प्रतिनियुक्ति जहानाबाद नगर पर्षद में की गयी. इनके अलावा अनुबंध पर दो अभियंताओं को भी बहाल किया गया. सरकार के आदेश के आलोक में अनुबंध पर बहाल अभियंताओं के द्वारा विभागीय कार्य नहीं कराने जाने हैं. ऐसी स्थिति में जिला पर्षद के प्रतिनियुक्त कनीय अभियंता पर ही विकास कार्य कराने का बड़ा बोझ है. फिलहाल स्थिति यह है कि प्रतिनियुक्त अभियंता को एक बार में तीन ही योजनाएं पूर्ण कराने की जिम्मेवारी दी गयी है.
तीन योजनाएं पूर्ण होने के बाद ही अगली योजना का एकरारनामा कराये जाने का प्रावधान है. ऐसी हालत में नगर पर्षद क्षेत्र के सभी 33 वार्डों में विभिन्न मदों से कराये जाने वाले विकास कार्य पर असर पड़ रहा है, जो अनुबंध पर बहाल हैं, उनके नाम से विकास योजनाओं का एग्रीमेंट नहीं कराया जा सकता, वे केवल अन्य कार्यों तक ही सीमित हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें