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नहीं है दवा, कैसे होगा पशुओं का इलाज
सिर्फ चकाचक भवन ही है मवेशी अस्पताल की पहचान निजी चिकित्सक के इलाज के सहारे हैं पशुपालक तकनीकी कारणों से नहीं हुई थी पिछले वर्ष दवा की आपूर्ति जहानाबाद : सुलभ सुविधा ही योजना के बेहतरी की पहचान होती है. राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों के उत्थान के लिए कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही […]
सिर्फ चकाचक भवन ही है मवेशी अस्पताल की पहचान
निजी चिकित्सक के इलाज के सहारे हैं पशुपालक
तकनीकी कारणों से नहीं हुई थी पिछले वर्ष दवा की आपूर्ति
जहानाबाद : सुलभ सुविधा ही योजना के बेहतरी की पहचान होती है. राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों के उत्थान के लिए कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही है. लेकिन जहानाबाद जिले में यह धरातल में उतरता नहीं दिख रहा है.
जिला मुख्यालय से लेकर कई जगहों पर पशुओं के इलाज के लिए सरकार द्वारा चकाचक ब्लिडिंग का निर्माण तो कर दिया गया है. लेकिन पशुपालन विभाग की पहचान चकाचक ब्लिडिंग ही बनकर रह गयी है. जिला मुख्यालय से लेकर विभिन्न प्रखंडों में पशु अस्पताल के भवन निर्माण में करोड़ो रुपये सरकार ने खर्च कर दी है. लेकिन ऊपर से फिट फाट दिखने वाले ये पशु अस्पातल में पशुपालकों की सुविधा के नाम पर शून्य मात्र हैं.
जिले में कितने हैं पशु :पशुपालन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में जहानाबाद, रतनी, हुलासगंज, काको, सहित विभिन्न जगहों पर 2 लाख ,8 हजार, 9 सौ 51 पशु हैं.
40 पद हैं स्वीकृत :जिले में पशुओं की देखभाल एवं उचित इलाज के लिए 17 पशु चिकित्सकों सहित 40 कर्मी का पद स्वीकृत है. स्वीकृत पद के अनुसार जिला मुख्यालय से लेकर विभिन्न प्रखंडों में संचालित पशु अस्पताल में सोलह पशु चिकित्सक नियुक्त हैं.
जिसमें घोषी प्रखंड र्कोरा पशु चिकित्सालय में मवेशी के इलाज के लिए पशु चिकित्सक नहीं हैं. जिले बार लिपिक के स्वीकृत पदों में तीन कार्यरत हैं एक पद रिक्त बताया जाता है. पशुधन सहायक के आठ पद पर सभी कर्मी मौजूद हैं. जिले के विभिन्न सात प्रखंडों में स्वीकृत 33 कर्मी के पद पर 21 कर्मी मौजूद हैं. सभी पशु अस्पताल में एक-एक पद रिक्त बताया जाता है.
अपने भवन में चलता है अस्पताल:
जिला मुख्यालय से लेकर मखदुमपुर काको ,घोषी, बंधुगंज सहित आठ जगहों पर पशु चिकित्सालय का अपना भवन उपलब्ध है. वहीं कल्पा ओकरी,शकुराबाद, कचनामा, र्कोरा, सहित आठ जगहों पर भवन का अभाव बताया जाता है. इन सभी जगहों पर प्राइवेट मकान में पशु अस्पताल चलाया जा रहा है.
दवाओं का टोटा:जिला अस्पताल से लेकर विभिन्न पशु अस्पतालों में कहीं भी जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है. दवा उत्पादन नहीं रहने के कारण पशुपालक प्राइवेट डॉक्टर से पशुओं का इलाज करा रहे हैं. दवा नहीं रहने का मुख्य कारण पिछले वर्ष तकनीकी कारणों से निविदा नहीं होना बताया जा रहा है.
चौदह केंद्रों पर है गर्भधान की व्यवस्था : शकुराबाद , मखदुमपुर नेहालपुर सहित चौदह केंद्रों पर गर्भधान केंद्र संचालित हैं. इन सभी जगहों पर गाय,भैंस का कृत्रिम सिमेन उपलब्ध है. गाय, भैंस छोड़कर अन्य जानवरों का गर्भधारण के लिए अन्यत्र जगहों पर या निजी पशु चिकित्सक का सहारा लेना पड़ता है. चिकित्सक बताते है कि बिहार , लाइन स्टॉक डेवलपमेंट ऐजेंसी पटना द्वारा उपलब्ध सभी जगहों पर सिमेन की आपूर्ति की जाती है.
आवंटन की है कमी :पशुपालकों के विकास के लिए कार्यरत गव्य विकास में इस साल आवंटन का अभाव है. बीते वर्ष 150 लोगों को 50 प्रतिशत अनुदान पर पशु उपलब्ध कराने का टारगेट दिया गया था.
लेकिन नये साल में आवंटन का अभाव बताया जाता है. विभाग द्वारा पशुओं में होने वाले खुरहा रोग, बचाव का टीका भी इस साल नहीं दिया गया है. टीकाकरण का कार्य विभाग द्वारा अन्य वर्ष नवंबर, दिसंबर में ही पूरा कर लिया जाता था. जो आज तक वांछित है. जिला पशुपालन पदाधिकारी डाॅ रामाकांत प्रसाद बताते हैं कि वित्तीय वर्ष में निविदा का कार्य पूरा कर दिया गया है. पंद्रह दिनों के अंदर दवा आपूर्ति करा दी जायेगी.
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