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धान की फसल बचाने में जुटे हैं किसान

धान की फसल बचाने में जुटे हैं किसान माॅनसून के दगा देने से फसल बचाना मुश्किल रात-रात भर चला रहे डीजल पम्पसेट फोटो-10 पेज तीन की लीडजहानाबाद(नगर). देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है . कहते हैं कि भारत की आत्मा किसान है, जो हमें खाद्यान्न देने के साथ ही भारतीय संस्कृति और […]

धान की फसल बचाने में जुटे हैं किसान माॅनसून के दगा देने से फसल बचाना मुश्किल रात-रात भर चला रहे डीजल पम्पसेट फोटो-10 पेज तीन की लीडजहानाबाद(नगर). देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है . कहते हैं कि भारत की आत्मा किसान है, जो हमें खाद्यान्न देने के साथ ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हैं . लेकिन आज इस किसान को निहारने वाला कोई नही .किसानों पर आज दोहरा मार है . एक तरफ मौसम की बेरूखी तो दूसरी तरफ शासन -प्रशासन की दुत्कार …कर्ज लेकर किसी तरह धान की रोपनी तो खेतों मे कर दी मगर उन खेतों में पानी के बिना दरारें पड़ने लगी है . आस थी माॅनसून लौटकर आयेगा . मगर वो भी दगा दे गया वहीं सिंचाई की मुक्कमल व्यवस्था नहीं होने के कारण लाचार दिख रहे हैं किसान . कैसे होगी उपज अब ये सोच कर ही ये परेशान हैं . परिवार की परवरिश और बच्चों के पढ़ाई की चिंता भी इन्हें सताने लगी है. अपनी फसल बचाये रखने के लिए इन्हें फिर से कर्ज लेने की नौबत आन पड़ी है . सरकार से जो सहायता मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रही . कहने को तो किसानों को सहायता दे रही सरकार मगर सब कुछ ढाक के तीन पात वाली कहावत बन कर रह गयी है. आज किसान अपनी फसल बचाने के लिए दिन-रात डीजल पम्पसेट चलाकर खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. जिले में 48 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित था . लक्ष्य के अनुरूप 96 प्रतिशत भू-भाग यानी 46 हजार 80 हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गयी . माॅनसून का साथ मिलने पर किसानों ने दिन रात एक कर कड़ी मेहनत करते हुए अपनी खेतों में धान की फसल तो लगा ली लेकिन अब उनके समक्ष फसल बचाने की संकट उत्पन्न हो गया है . जिले में पिछले एक पखवारे से अधिक समय से बारिश नहीं हुई है . 31 अगस्त की रात मात्र 5.29 मिमी बारिश हुई है जो कि ऊंट के मुंह में जीरा के सामान है . माॅनसून के दगा देने से खेतों में दरार दिखने लगी है . दरार को देख किसान परेशान हो रहे हैं. ऐसे में किसान अपनी फसल को बचाने के लिए रात-रातभर डीजल पम्पसेट चलाकर खेतों को सिंचाई कर रहे हैं . हालांकि किसानों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है . यहां तक की डीजल अनुदान का लाभ भी गिने -चुने किसानों को ही मिला है ऐसे में किसान अपनी गाढ़ी कमाई फसल को बचाने में लगा रहे हैं . जिले में सिचांई की स्थिती – जिले के किसान पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर हैं . मॉनसून का साथ मिला तो उत्पादन रिकार्ड स्तर पर होता है . जिले में लघु सिंचाई से 14303हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित है वहीं उदेश स्थान बराज से 7175 हेक्टेयर तथा जलपथ से 14050 हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित है लेकिन लघु सिंचाई से मात्र 441 हेक्टेयर , उदेरा स्थान बराज से 2275 हेक्टेयर , जलपथ से 7050 हेक्टेयर भूमि ही सिंचित किये गये हैं . जिले में बारिश की स्थिती भी सामान्य से काफी कम रही है . जिले में अब तक मात्र 448.45 मिमी बारिश हुई है . जबकि 904 मिमी बारिश की आवश्यकता थी.

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