जहानाबाद : जान बचानी है तो पीएमसीएच जाइए! गंभीर रूप से जख्मी और तुरंत इलाज की सख्त दरकारवाले मरीजों को जिला मुख्यालय का सदर अस्पताल यही संदेश दे रहा है.
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की यह हालत तब है, जब सूबे की सरकार समाज के आखिरी आदमी तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ और सुगम तरीके से पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित बतायी जाती है. ऐसे में छोटी-बड़ी तमाम सुविधाओं से लैस सदर अस्पताल से रोजाना औसतन पांच-छह मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया जाना चिकित्सकीय व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है.
अस्पताल परिसर में इंटेसिव केयर यूनिट(आइसीयू) चालू हुए पांच साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन गहन चिकित्सा कक्ष की उपयोगिता अब तक सिद्ध नहीं हो पायी है. दिखावे के लिए सिर्फ कागज पर चालू आइसीयू वर्तमान में अत्याधुनिक मशीनों से लैस है पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के चलते यहां मरीज भरती नहीं किये जाते.हर्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज और बर्न केसेज में इमरजेंसी सपोर्ट सिस्टम भी मृतप्राय है.
खासकर सड़क हादसों में बुरी तरह घायल मरीजों का इलाज करने से भी डॉक्टर कतराते हैं. बताया गया कि अभी आइसीयू में फैमिली प्लानिंग और प्रसव के लिए ऑपरेशन किये गये मरीज रखे जाते हैं. ऐसे में यहां के बेडों का इस्तेमाल तो होता है, लेकिन उनका सही इलाज नहीं हो पाता.
सजर्न-फिजिशियन भी हैं नदारद :सदर अस्पताल में इलाज के लिए आनेवाले अधिकतर मरीजों को मेडिशिनल केयर के नाम पर फिजिसियन की जरूरत के बीच उनकी उपलब्धता नहीं होने से भारी फजीहत उठानी पड़ती है.
वहीं सजर्न नदारद रहने से सजर्री की आवश्यकता वाले रोगी भी भगवान भरोसे ही यहां इलाज कराते हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक आइसीयू की संपूर्ण चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ उठाने का सौभाग्य किसी मरीज को प्राप्त नहीं हुआ है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन भले ही आइसीयू के एक्टिव होने का दावा करे लेकिन मरीज इससे लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं.