अरवल (सदर)पुलिस की कार्यशैली पर लोग अक्सर सवाल खड़ा करते हैं, तो पुलिस पदाधिकारी कहते हैं कि लोगों को पुलिस के प्रति नजरिया गलत रहती है लेकिन कलेर (अरवल) पुलिस पदाधिकारी की एक जांच प्रतिवेदन को देखा जाये, तो उनके द्वारा जांच प्रतिवेदन की रिपोर्ट पर पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर लोगों ने अंगुली उठानी शुरू कर दी हैं. कलेर थाने के अप्राथमिक कांड संख्या 11/13 में सअनि उमेश पासवान ने अपने जांच प्रतिवेदन में धारा 107 दप्रस की रिपोर्ट में एक दो वर्ष के बच्चे को नामजद कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. आम आदमी की बात को छोड़ दिया जाये, तो न्यायालय में न्याय के पद पर बैठे मजिस्ट्रेट भी इस बच्चों को न्यायालय में देख कर पुलिस की कार्यशैली से हैरान दिख रहे हैं. संदीप कुमार उम्र दो वर्ष, पिता- राजकिशोर साव जब न्यायालय में पहुंचे, तो लोग देख कर यह कह रहे थे कि जो बच्चा सही से अपना नाम, पता नहीं बता सकता है, न किसी व्यक्ति को सही से पहचान कर सकता है वह समाज में कौन-सा तनाव पैदा कर रहा था, जो पुलिस ने इस नन्हे बच्चे पर धारा 107 के मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में भेज दिया है. अगर आये दिन इसी तरह पुलिस अपने कर्तव्य को निभाती रही, तो पुलिस की कार्यशैली पर लोग कैसे विश्वास कर सकते हैं.
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दो वर्ष के बच्चे पर मुकदमा दर्ज
अरवल (सदर)पुलिस की कार्यशैली पर लोग अक्सर सवाल खड़ा करते हैं, तो पुलिस पदाधिकारी कहते हैं कि लोगों को पुलिस के प्रति नजरिया गलत रहती है लेकिन कलेर (अरवल) पुलिस पदाधिकारी की एक जांच प्रतिवेदन को देखा जाये, तो उनके द्वारा जांच प्रतिवेदन की रिपोर्ट पर पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर लोगों ने […]
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