क्षेत्र में हाहाकार. लगभग 19 लाख की आबादी पर हैं मात्र 20 हजार चापाकल
चैत माह में चिलचिलाती हुई गरमी ने जैसे जैसे अपना रंग दिखाना शुरू किया है,वैसे वैसे पेयजल की समस्या गहराने लगी है. पीएचइडी ने पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए कई चापाकल गाड़े गये थे, लेकिन संसाधनों की कमी व मरम्मत के अभाव के कारण वर्तमान समय में अधिकांश चापाकल हाथी का दांत बन कर रह गया है.
जमुई : नगर क्षेत्र और कई गांव में तो विभाग द्वारा चापाकल गाड़ा गया है, लेकिन किसी भी चापाकल का अता पता तक नहीं है. विभाग के अधिकारी हर बार गरमी के मौसम में चापाकल की मरम्मत करने का दावा तो करते हैं,लेकिन वह कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता है. लोगों की मानें तो चापाकल खराब होने की वजह से हमलोगों को इस भीषण गरमी में पेयजल की गंभीर समस्या से दो चार होना पड़ रहा है.
जिले में मात्र 19 हजार 800 हैं चापाकल: पीएचइडी द्वारा जिले के 18 लाख 88 हजार की आबादी को पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए मात्र 19 हजार 800 चापाकल गाड़े गये हैं,जो किसी भी दृष्टि से पर्याप्त नहीं है.यानी 95 व्यक्ति पर एक चापाकल उपलब्ध है.हालांकि विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह विभाग द्वारा तय किये गये मानक से अधिक है.
कहते हैं कार्यपालक अभियंता
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता शिवशंकर दयाल ने बताया की संसाधनों व कर्मियों की कमी के बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है,लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
अधूरी हैं 23 में से छह पेयजलापूर्ति योजना
विभाग के पास कुल 19 हजार 800 चापाकल की देख भाल के लिए 40 कामगार हैं, यानी 495 चापाकल पर एक कामगार हैं.जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. मरम्मत और संसाधनों की कमी के अभाव में 200 हजार से अधिक चापाकल खराब पड़े हैं.विभाग के सूत्रों की माने तो ये सभी चापाकल विशेष मरम्मत के अभाव में बेकार हो चुके हैं.हालांकि छोटी मोटी खराबी होने पर चापाकलों का मरम्मत भी कराया जा रहा है.विभाग द्वारा विभिन्न प्रखंडों में लोगों को सुगमतापूर्वक शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने के लिए शुरु की गयी 23 में से 6 जलापूर्ति योजना विभागीय उदासीनता के कारण आज भी अधूरी पड़ी हुई है.