जमुई : दूसरी हरित क्रांति पूर्वी क्षेत्र से यांत्रिक रण के रथ पर सवार होकर आयेगी. जिले के लगभग 71 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र खादीग्राम के कृषि वैज्ञानिक डा. प्रमोद कुमार ने सिकंदरा प्रखंड के सरसा गांव में फसल कटनी के पश्चात उत्पादकता का औसत निकालने के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि धान की सीधी बुआई प्राकृतिक संसाधन संरक्षण तकनीकी है. जिसमें मैट पर नर्सरी तैयार कर सीधे खेत में मशीन से धान की रोपाई की जाती है. मशीन का प्रयोग करने से श्रम,समय और पूंजी की भी बचत होती है तथा सामान्य विधि से 25 से 30 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होती है.
कृषि वैज्ञानिक डा. कुमार ने कहा कि फसल कटनी के पश्चात प्रतिवर्ग मीटर कल्लो की संख्या 408,बाली की संख्या 26.2 सेंटीमीटर व उपज 76 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई, जो की परंपरागत विधि से उगाये गये धान की अपेक्षा अधिक है.
प्रखंड कृषि पदाधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि कृषि विभाग के माध्यम से यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के सरकार की ओर से अनुदान दिया जा रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप किसान मशीन से धान लगाने के प्रति लगनशील है.
कृषि समन्वयक राकेश कुमार व मनीता ने बताया कि लगातार मजदूरों की हो रही कमी और बढ़ती लागत से पैडी ट्रांसप्लांटर एक बेहतर विकल्प के रूप में उपलब्ध है. कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डा. सुधीर कुमार ने कहा कि एक किलो धान पैदा करने के लिए 4500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.
जबकि पैडी ट्रांसप्लांटर से खेती करने पर 30 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. इसलिए अगले वर्ष से अधिक क्षेत्रफल में धान की मशीन से खेती की जायेगी. इस अवसर पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक राजीव नयन,किसान ललन चौधरी,नरेश चौधरी,नुनुदेव यादव,सोफेंद्र यादव,मो. कैयूम समेत दर्जनों किसान मौजूद थे.