प्रतिनिध : लखीसराय पिछले 48 घंटे के दौरान हुई बारिश से किसानों के चेहरे पर रौनक लौटी है. बारिश के कारण खेतों में पानी जमा हो रहा है. मुरझा रहे धान में अचानक जान आ गयी है.
पिछले करीब एक माह से बारिश नहीं होने से इलाके में भारी संख्या में खेतों में दरार आ गया था और धान मरने लग गये थे. कृषि वैज्ञानिक बीके सिंह के मुताबिक लगातार कड़ी की वजह से धान का पौधा झुलस रहा था. बारिश से सभी फसलों को फायदा होगा. खेतों में नमी बिल्कुल खत्म हो चुकी थी.
खेतों में नमी के कारण अगले फसल तेलहन की रोपनी को भी इससे लाभ होगा, लेकिन अभी पर्याप्त बारिश नहीं हुई जिसकी वजह से उत्पादन में वृद्धि आ सके. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक बारिश से सब्जी की खेती को भी लाभ होगा.
इसके अलावा पिछात मकई की खेती में भी लाभ होगा. मकई की बाली में दाने आयेंगे. जो किसान भाई, टमाटर, बैगन लगायेंगे या बिचड़ा छिड़क चुके हैं, उन्हें खेती में फायदा होगा. शहरी क्षेत्रों में हुआ जलजमाव : रुक-रुक कर हो रही बारिश से जहां लोगों को उमस भरी गरमी से राहत मिल रही है वहीं शहरी क्षेत्र में जहां-जहां सड़कें तालाब बन गयी है नाले का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है लोगों को आवागमन में भी परेशानी हो रही है.
बताया जाता है कि शहर के अधिकतर नाले की लंबे समय से सफाई नहीं हुआ. जगह-जगह नाले में कचरे का अंबार पड़ा है. बारिश का पानी बह कर नाला में जाने के बाद सारी गंदगी सड़कों पर बह रहा है. धान की खेती के लिए संजीवनी बनकर आयी बारिश : कजरा. करीब तीन सप्ताह पूर्व से बदन को झुलसाने वाली धूप के कहर से लोग परेशान थे.
वहीं धान के खेत में सूख कर दरारें पड़नी शुरू हो गयी थी व धान के पौधे झुलस रहे थे. रविवार से मौसम ने करवट ली और बारिश हुई. हालांकि मंगलवार तक हुई तक हुई छिटपुट बारिश न्यूनतम ही कही जायेगी.
परंतु झुलस कर पीले होते धान के पौधे के लिए संजीवनी का काम किया. बासुदेवपुर कजरा के किसान अजय सिंह ने बारिश से आंशिक लाभ मिलने की बात कही. वहीं आम लोगों ने खुशगवार मौसम के कारण गरमी से राहत महसूस की. हालांकि कजरा के पहाड़ियों पर बादल देख क्षेत्र के किसान भारी बारिश होने को लेकर आशान्वित है. किसानों में खुशी है.