काश बरसात नहीं आता, कम से कम सड़कों की इस नारकीय स्थिति से छुटकारा तो मिलता मन में पनपता यह विचार इन दिनों हर उस राहगीर के दिमाग में होता है
जो सोनो चौक से बाजार के लिये सड़क से गुजरता है. वर्तमान में सड़क पर जमे पानी व कीचड़ से पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है. कीचड़ व जमे पानी के सड़न से सड़क के समीप वाले घरों के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. वर्तमान हालात यह है कि पैदल तो दूर वाहन चालक भी इस सड़क पर मजबूरी में ही अपने वाहन चलाते है.
सोनो चौक से गुजरते एनएच 333 से आप जैसे ही मुख्य बाजार की ओर जायेंगे. आपका स्वागत मिनी तालाब में तब्दील सड़क के गड्ढे से होगा. बाजार तक आते-आते लोगों को भारी मुसीबतें उठानी पड़ती है. चौक से शीतला मंदिर तक की सड़क बेहद खराब हो चुकी है. सड़कों की यह सूरत सूबे की सरकार के विकास की पोल खोलती नजर आती है. क्षेत्र में विकास की जिम्मेदारी निभा रहे प्रशासनिक लोगों का रवैया भी इस ओर उदासीन है.
जिस मुख्य सड़क से होकर सोनो मुख्यालय सहित पश्चिम क्षेत्र के दर्जनों गांव की ओर प्रतिदिन हजारों लोगों का आवागमन होता है. उस सड़क की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिये प्रशासन गंभीर नहीं है. खास कर बरसात में बीमारियों के बढ़ने की संभावनाओं के बीच सड़क पर जमा कीचड़ व जमा गंदे पानी से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को लेकर भी प्रशासनिक महकमा की कुंभकर्णी नींद नहीं टूट रही है. जबकि उनके भी वाहन इस बीमार सड़क से होकर गुजरती है. आश्चर्य तो इस बात का है कि तमाम राजनैतिक चैहरे भी बेहद जरूरी कार्यो को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते है.