बैठक में उपस्थित कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी ने जनसंघ के संस्थापक के रूप में हिंदुस्तान को एकजुट रखने में काई कसर नहीं छोड़ी थी.
वे अपनी प्रतिभा के बल पर कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे और स्वतंत्र रूप से विधान मंडल के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए थे. वे अपनी प्रतिभा के बल पर अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बने थे. उन्होंने ही 21 अक्तूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना की थी. मौके पर उपस्थित लोगों ने उनके आदर्शो को अपनाने का संकल्प लिया. इस अवसर पर नरेंद्र सिंह, प्रिय रंजन सिन्हा, त्रिपुरारी सिंह, योगेंद्र पंडित, संजय पासवान आदि मौजूद थे.