जमुई: तूफान व ओलावृष्टि के बाद जिले में सूखे की आहट दिखाई देने लगा है. जिससे किसानों के चेहरे की रौनक उड़ गयी है और वे आकाश की ओर निहार रहा है कि कब बारिश की बूंदे जमीन की प्यास बुझायेगी. अमूमन आषाढ़ महीना के आरंभ होते ही मानसून का प्रवेश हो जाता था. किंतु इस बार अब तक मानसून ने दस्तक भी नहीं दिया है. जिसके कारण धान के बिचड़े की बुआई में देरी हो रही है. विशेषज्ञों के अनुसार 15 जून से मानसून के प्रवेश करने की संभावना जतायी जा रही है.
साथ ही कहा जा रहा है कि इस वर्ष भी मॉनसून के 12 प्रतिशत कमजोर होने की आशंका है. यदि संभावित तिथि तक मानसून प्रवेश नहीं करता है तो फिर किसानों की परेशानी और भी बढ़ सकती है. वर्तमान समय में किसानों को खेत में लगे फसलों का बचाना मुश्किल हो रहा है.
किसान परेशान
विभागीय उदासीनता के कारण जिले में खेतों की सिंचाई व्यवस्था दिन प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रही है. जिले के तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज व हवेली खड़गपुर प्रखंड को धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने और मॉनसून के नहीं आने से धान का बिचड़ा तक किसान नहीं पार सके है. सिंचाई की व्यवस्था को लेकर नहरों व वितरणियों का जाल बिछाया गया. कुछ समय तक तो सिंचाई की स्थिति ठीक- ठाक रही. किंतु पिछले कुछ वर्षो से सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. जगह- जगह पर नहरों के बांध टूटे पड़े हैं. जिसके कारण नहरों का पानी आधे दूर तक भी ठीक से नहीं पहुंच पा रहें है. हाल यह है कि बदुआ, बेलहरनी, महाने, झगड़हवा से खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है. जबकि सतघरवा जलाशय योजना एवं डकरा नाला के लिए सरकार ने खर्च तो करोड़ों रुपये कर दिये पर इस योजना से खेतों में एक बूंद भी पानी नहीं पहुंच पाया. गरमी का आलम यह है कि उसमें दरारें आ गयी है. जिससे किसान परेशान है.