समुदाय के सभी सदस्य इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं तथा अच्छे पकवानों के साथ खान-पान होता है. घर के प्रवेश द्वार पर चावल के आटे की अल्पना बना कर सुंदर फूल-पत्ताें को उकेर कर महिलाएं सुसज्जित करती हैं.
आम्र पल्लव से तोरण और फूलों से सजाया जाता है. एक-दूसरे का मुंह पायस (खीर), रसोगुल्ला और संदेश से मीठा कराया जाता है. एक-दूसरे को तथा संबंधियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देने के साथ ही उपहार भी भेंट किया जाता है. संध्या बेला में नये परिधानों के साथ ही लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने एक जगह सम्मिलित होकर एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य-संगीत, नाटक का मंचन किया जाता है. जिसमें स्त्री-पुरुष तथा बच्चों की भागीदारी होती है. मनोरंजन के साथ ही आपसी मेल-मिलाप का बेहतरीन आयोजन है पोयला वैशाखा. व्यवसायी नये बही-खाता का प्रारंभ भी इसी दिन करते हैं तथा धन की देवी महालक्ष्मी व सिद्धिदाता श्री गणोश की विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही व्यापार का शुभारंभ इस दिन होता है. झाझा निवासी संजय भट्टाचार्य, चंचल भट्टाचार्य, देवराज सरकार, चेताली साहा, देवाशीष सरकार आदि ने बताया कि नव वर्ष के उपलक्ष्य में हमलोग अहले सुबह नहा-धोकर नया वस्त्र पहन पूजा-अर्चना करते है तथा एक दूसरे को मिठाई आदि खिला कर शुभकामना भी देते है.