अपहरणकर्ताओं ने मेरा हाथ बांधकर आंख पर पट्टी बांघ दिया था तथा हमेशा पट्टी बंधे रखता था और सिर्फ खाने के वक्त पट्टी खोलता था. अपहरणकर्ताओं ने पहले दिन मुङो भूखा ही रखा और सिर्फ एक ही दिन खाना दिया. दिन में रोटी-सब्जी तथा रात में चूड़ा खाने दिया करता था. तीन आदमी मेरे साथ हमेशा रहता था. मुङो खुले स्थान पर रखता था और आपस में बातचीत किया कि उसे मार दो. शुक्रवार की रात को सभी अपराधी शराब पीकर बोला कि यादव को सुबह में मारेंगे . जब मैंने देखा कि सभी लोग गहरी नींद में सो गया है तो किसी तरह आंख पर बंधी पट्टी को हटाया और धीरे-धीरे वहां से भाग निकला और सुबह होने के उपरांत कटहरा नदी पहुंचकर वहां से लडुंबा पहुंचा.
वहां से एक आदमी के मोबाइल से अपने चाचा अमीन यादव एवं भाई अरुण यादव को सूचना दिया. वे लोग मोटरसाइकिल लेकर आये और मुङो घर ले गये. जब हरीश से फिरौती के बारे में पूछा गया तो उसने किसी भी प्रकार की फिरौती से इंकार किया. हरीश के सकुशल घर पहुंचने की सूचना पाकर थानाध्यक्ष विवेक भारती, अवर निरीक्षक बैकुंठ पासवान पुलिस बल के साथ पहुंचकर हरीश से पूछताछ किया. इस संदर्भ में थानाध्यक्ष श्री भारती ने बताया कि पुलिस की दबिश से अपराधियों ने हरीश को छोड़ दिया है.