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रोजे के हालात में इनसान बन जाता है फरिश्ता

गोपालगंज : रमजान में हर बंदे की दुआ कुबूल होती है. बड़ी मसजिद के इमाम शौकत फहमी ने कहा कि हदीस पाक में यह जिक्र आता है कि रमजान के मुकद्दस महीने में प्रत्येक रात में सुबहे सादिक आसमान से एक मुनादी यह एलान करता है कि अच्छाई मांगने वाले यह मांगना खत्म कर और […]

गोपालगंज : रमजान में हर बंदे की दुआ कुबूल होती है. बड़ी मसजिद के इमाम शौकत फहमी ने कहा कि हदीस पाक में यह जिक्र आता है कि रमजान के मुकद्दस महीने में प्रत्येक रात में सुबहे सादिक आसमान से एक मुनादी यह एलान करता है कि अच्छाई मांगने वाले यह मांगना खत्म कर और खुशी मना कि तेरी दुआ कुबूल हो गयी है.

बुराई करनेवाले बुराई करने से बाज आ और इबरत हासिल कर. उन्होंने कहा कि रोजे के हालात में इनसान एक फरिश्ता बन जाता है. कोई मगफिरत की तालिब उसकी तलब पूरी की जाये, तौबा करनेवाले की दुआ कुबूल की जाये. अल्लाह त आला रमजानुल मुबारक की रात इफ्तार के वक्त साठ हजार गुनहगारों को दोजख से आजाद कर देता है और ईद्दुजहा के दिन पूरे महीने के बराबर गुनहगारों को माफी दी जाती है. अल्लाह के करमो फजल से रहमत के सभी दरवाजे खोल दिये जाते हैं और खूब मगफिरत दरवाजे तक्सीन किये जाते हैं.

सात साल की अरुबा ने रखा पहला रोजा
आदमापुर के शिक्षक इश्तेयाक आलम की सात वर्षीया बेटी अरुबा हायात ने अपना पहला रोजा रखा. अरुबा की मां शिक्षिका अनीश फातमा ने बताया कि अपने दादा एमएम उर्दू कॉलेज से रिटायर्ड शिक्षक खुर्शीद आलम से प्रेरणा लेकर रोजा रख रही है. बड़ों के साथ पूरे दिन रोजा रख इफ्तार पार्टी में शामिल हुई. अरुबा ने अपना पहला रोजा पूरा करने के बाद आगे रोजा रखने की इच्छा जतायी है.

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