24.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पारंपरिक गीत अब जमाने की बात

गोपालगंज : भर फागुन में बुढ़उ देवर लागस, होली खेले रघुबीरा अवध में होली खेले रघुबीरा जैसे बजते गीत कभी न सिर्फ हमारे संस्कृति को दरसाते थे, बल्कि ठिठोलियों के बीच सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए दुश्मन को भी दोस्त बना देते थे. समाज को एक सूत्र में पिरो कर रखनेवाले होली गीत अब […]

गोपालगंज : भर फागुन में बुढ़उ देवर लागस, होली खेले रघुबीरा अवध में होली खेले रघुबीरा जैसे बजते गीत कभी न सिर्फ हमारे संस्कृति को दरसाते थे, बल्कि ठिठोलियों के बीच सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए दुश्मन को भी दोस्त बना देते थे. समाज को एक सूत्र में पिरो कर रखनेवाले होली गीत अब जमाने की बात हो गयी है. मस्ती और उमंग का त्योहार होली पर अब पहले जैसी परंपराएं नहीं दिखतीं. फागुन मास के दस्तक के साथ ही प्रकृति में एक अलग हलचल दिखायी देती है.

प्रकृति ने अपना नियम तो नहीं बदला, पर आधुनिकता की दौड़ में हमारी परंपराएं हासिये पर हो गयी हैं. पूरे फागुन मास में पहले गांव से लेकर शहर तक फाग गीताें की धूम मचती थी. हर गली में प्यार के रंग में रंगी होली मनायी जाती थी. आज स्वरूप ही बदल गया है. होली के महज दो दिन हैं, लेकिन गाने वालों की टोली और फाग गीत सुनायी नहीं पड़ रहे हैं. गीत तो बज रहे हैं, लेकिन कैसेट और सीडी प्लेयर से जो गाड़ियों और ऑडियो प्लेयर तक सिमट कर रह गये हैं. होली के एक सप्ताह पूर्व से मिलने जुलने का सिलसिला शुरू हो जाता था. रंग फेंके जाते थे, राह चलते लोग गुलाल लगा देते थे. यह पर्व जहां एक दिन का हो गया है, वहीं संदेश व्हाट्सअप और फेसबुक पर चला गया है. टोला-मुहल्ले में गुजरती लोगों की टोली और गूंजते गीत का रूप आज होली मिलन समारोह ने ले लिया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें