आपदा . नदी में समा गया विशंभरपुर का हजामटोली गांव
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80 घर गंडक नदी में हुए विलीन
आपदा . नदी में समा गया विशंभरपुर का हजामटोली गांव गंडक नदी ने गत 24 घंटे के भीतर विशंभरपुर के हजामटोली गांव को अपनी गोद में ले लिया है. गांव का अस्तित्व देखते- ही- देखते मिट गया. लगभग 80 घर नदी में समा गये हैं. कालामटिहनिया : गंडक नदी का कटाव फिर तेज हो गया […]
गंडक नदी ने गत 24 घंटे के भीतर विशंभरपुर के हजामटोली गांव को अपनी गोद में ले लिया है. गांव का अस्तित्व देखते- ही- देखते मिट गया. लगभग 80 घर नदी में समा गये हैं.
कालामटिहनिया : गंडक नदी का कटाव फिर तेज हो गया है. नदी के उग्र रूप गांव के लोग नहीं समझ पा रहे हैं. नवरात्र के बाद कटाव का तेज होना किसी विपदा से कम नहीं माना जा रहा. अब तक के इतिहास में पितृपक्ष तक नदी की धारा शांत हो जाती थी. आठ दिन पहले यहां कटावरोधी कार्य को बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बंद कर दिया था.
उसके बाद नदी की धारा उग्र हुई और देखते- ही- देखते हजामटोली के विनोद महतो, विंदा महतो, सकलदीप महतो, रामदयाल महतो, अमर ठाकुर, उमाशंंकर ठाकुर, विक्रमा ठाकुर, रामाशंकर ठाकुर, दीनानाथ ठाकुर, मोहन ठाकुर, हरिराम ठाकुर, हरिहर प्रसाद, हरि प्रसाद की जन वितरण दुकान समेत 80 घर नदी में समा गये. गांव में संतोष दुबे तथा अजय तिवारी की माने, तो हजामटोली के कटाव के बाद बेघर लोग खुले में प्रशासन की तरफ टकटकी लगाये हुए हैं. जबकि विशंभरपुर मौजे गांव के नगीना तिवारी, हरिहर तिवारी, सुदामा तिवारी, अनिल तिवारी, चंद्रभूषण तिवारी, शंभु तिवारी, रंगलाल यादव, बाबू लाल यादव, किसान यादव समेत एक सौ से अधिक घर नदी के निशाने पर है. इसी तरह कटाव जारी रहा, तो अगले 24 घंटे में अधिकतर घर कट जायेंगे. कटाव के कारण लोग अपने घरों को तोड़ कर सामान को सुरक्षित करने में जुटे हुए हैं.
और नारायणी में समा गया दुर्गा मंदिर
गंडक नदी में समाया आधा मंदिर.
विशंभरपुर का ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर नारायणी नदी में समा गयी. एक तरफ इस मंदिर मेंं नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना चल रहा था, तो दूसरी तरफ नदी का दबाव नदी पर काफी था.
विजयादशमी के दिन हवन होने के साथ ही दुर्गा मंदिर का आधा हिस्सा नदी में समा गया, तो शेष हिस्सा बुधवार की दोपहर नदी में समाहित हो गया.
ग्रामीण जलेश्वर महतो व आनंदी गोड़ त्रिवेण गोड़ आदि ने बताया कि 118 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. नवरात्र भर मंदिर का नदी में नहीं समाना चर्चा का विषय बना रहा. इसे लोगों ने दैवीय शक्ति बताया़
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