चूक . सीओ ने थाने को दिया था कार्रवाई का आदेश
भोरे : जमीन के टुकड़े की खातिर एक किसान के बेटे द्वारा आत्महत्या कर लेना कहीं-न-कहीं प्रशासनिक उपेक्षा एवं सिस्टम में फैली गंदगी को दरसाता है. राजेश आज भले ही इस दुनियां में नहीं है, लेकिन उसकी मौत ने एक साथ कई सवालों को खड़ा कर दिया है. सवाल तो यह भी कि क्या जमीन विवाद सुलझाने का कोई ठोस उपाय नहीं है. क्या दबंगों की दबंगई के आगे कानून बेबस है.
इन सारे सवालों के जवाब तलाशने होंगे. लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि पिछले एक माह से चल रहे इस मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन के द्वारा क्या कार्रवाई की गयी. वैसे एडीओ के यहां से कार्रवाई के लिए आये आदेश के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई. यह भी एक सवाल है. अगर समय रहते इस मामले में कार्रवाई की गयी होती, तो शायद राजेश को खुदकुशी करने की नौबत ही नहीं आती. लेकिन मौत कहां, कब और किस रूप में आ जाये कोई नहीं जानता. राजेश की आत्महत्या की कहानी उस जमीन से शुरू होती है. जो उसके पुरखों की है. कहा जा रहा है कि उस जमीन पर राजेश के परिजनों का दखल-कब्जा पिछले 100 वर्षों से था.
लेकिन एक माह पूर्व ही मुडाडीह के दीना यादव ने उस पर कब्जा जमा लिया था. दीना यादव का कहना है कि वह जमीन उसके पूर्वज नकछेद अहीर के नाम से शिकमी है, जिसके आधार पर जमीन उसकी हुई.
वहीं जमीन पर कब्जा किये जाने के बाद राजेश के बड़े भाई जनार्दन तिवारी ने 25 जून, 2016 को स्थानीय सीओ को आवेदन देकर शिकायत की थी. उसी दिन पुलिस द्वारा आवश्यक कार्रवाई कर सीओ को सूचित कर दिया गया था.
परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने सीओ को इस मामले से संबंधित आवेदन दिया, तो सीओ ने बिना किसी कार्रवाई के ही थानाध्यक्ष को अपने स्तर से कार्रवाई का आदेश दे डाला. इस मामले में सीओ को दोनों पक्षों को नोटिस कर मामले की सुनवाई करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सूत्रों की मानें तो एसडीओ कोर्ट से इस मामले में सीओ एवं पुलिस को आवश्यक कार्रवाई का आदेश दिया था. थानाध्यक्ष सुरेश कुमार यादव ने बताया कि एसडीओ के यहां प्राप्त मोसन्ना का जवाब दिया जा चुका है.
वहीं सीओ अब्बू आमिर का कहना है कि मामला एसडीओ कोर्ट में लंबित है, 25 जुलाई को उसकी सुनवाई थी. कोर्ट के आदेश के बाद ही जमीन पर से अवैध कब्जा हटाया जाना था. बहरहाल बात चाहे जो भी लेकिन इस मामले में यह तो स्पष्ट है कि जमीन के मामले में प्रशासनिक स्तर पर की गयी ढिलाई ही राजेश की मौत का कारण बन गयी.