गोपालगंज : धान की कटनी और रबी की बोआई का कार्य प्रारंभ हो गया है. फसल-दर-फसल प्रकृति से लगातार मिल रही हार के बाद एक बार फिर किसान रबी की बोआई के लिए अपने ही मेहनत को आग के हवाले करने को मजबूर हैं. इस वर्ष बारिश काफी कम हुई, जिससे जहां सिंचाई के साधन नहीं है, उनके खेतों लगी धान की फसल में बालियां नहीं आयी.
अब किसान इसे काटने के बजाय, उसे आग के हवाले कर रहे हैं. परसौनी के राजकिशोर महतो बताते हैं कि उन्होंने दो बिघे में सोना मनसुरी धान की खेती की थी, जिस पर 12 हजार की लागत आयी. लेकिन, धान में बाली नहीं निकली. कटनी कराने पर मजदूरी भी बेकार जायेगा.
यहां राजकिशोर, भुटेली सहनी, करन सहनी अपनी खेतों में लगी धान की फसल को जला रहे हैं. ये किसान खर्च और कर्ज की दोहरी मार झेलने को विवश हैं. अपनी ही फसल को जला रहे इन किसानों के दिल में काफी दर्द है. सूखे की चपेट में आये जिले में 45 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फसल का नुकसान हो चुका है.