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25 वर्षों के बाद भोरे में कांग्रेस को मिला मौका

25 वर्षों के बाद भोरे में कांग्रेस को मिला मौका 25 वर्ष पूर्व अनिल कुमार को हरा कर इंद्रदेव ने झटकी थी कांग्रेस की सीट इंद्रदेव मांझी को हरा कर अनिल कुमार ने वापस दिलायी कांग्रेस को सीट संवाददाता, भोरे विधानसभा चुनाव में कई ऐसे बड़े उलटफेर हुए हुए हैं, जिसकी कोई कल्पना नहीं थी. […]

25 वर्षों के बाद भोरे में कांग्रेस को मिला मौका 25 वर्ष पूर्व अनिल कुमार को हरा कर इंद्रदेव ने झटकी थी कांग्रेस की सीट इंद्रदेव मांझी को हरा कर अनिल कुमार ने वापस दिलायी कांग्रेस को सीट संवाददाता, भोरे विधानसभा चुनाव में कई ऐसे बड़े उलटफेर हुए हुए हैं, जिसकी कोई कल्पना नहीं थी. लेकिन, भोरे विधानसभा क्षेत्र में 25 वर्ष पूर्व की कहानी दुहरायी गयी. 2015 के अखाड़े में कूदे दोनों पहलवान वही थे. फर्क सिर्फ इतना था कि 25 वर्ष पूर्व जिसने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा कर उससे यह सीट छीनी थी, उसी हारे पहलवान ने 25 वर्षों के बाद उसी पहलवान को हरा कर न सिर्फ सीट ही वापस ली, बल्कि 25 वर्षों के बाद कांग्रेस को सीट वापस दिलायी. इस दौरान यह भी एक हकीकत रही कि कांग्रेस कभी रनर भी नहीं बन सकी. बता दें कि अनिल कुमार एवं इंद्रदेव मांझी दोनों के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1985 में ही हुई. 85 के चुनाव में अनिल कुमार कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे, तो इंद्रदेव मांझी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे. 1985 के चुनाव में अनिल कुमार ने इंद्रदेव मांझी को 8498 मतों से हरा कर विधानसभा का रुख किया था. वर्ष 1990 के चुनाव में इंद्रदेव मांझी जनता दल के टिकट पर मैदान में थे, तो वहीं अनिल कुमार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामने खड़े थे. 1990 के चुनाव में इंद्रदेव मांझी ने अनिल कुमार को 9460 मतों से हरा कर पहली बार विधानसभा का रुख किया. उसके बाद अनिल कुमार राज्यसभा चले गये. लेकिन, इंद्रदेव मांझी ने 1995 में भी चुनाव लड़ा. इस बार वे राजद के टिकट पर मैदान में थे. उनके सामने भाजपा से आचार्य विश्वनाथ बैठा थे. इंद्रदेव मांझी ने विश्वनाथ बैठा को 18047 मतों से हराया. वर्ष 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बात सबसे अहम रही कि उस चुनाव में न तो इंद्रदेव मांझी मैदान में थे और न ही अनिल कुमार. वर्ष 2000 में भाजपा के आचार्य विश्वनाथ बैठा ने राजद के अलगू राम को 32373 मतों से हरा कर विधानसभा में प्रवेश किया था. फरवरी, 2005 के चुनाव में अनिल कुमार ने फिर वापसी की. इस बार राजद के टिकट पर अनिल कुमार का मुकाबला लोजपा के सुरेंद्र राम से था. वे सुरेंद्र राम को 16835 मतों से हरा कर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. लेकिन, बीच में ही मध्यावधि चुनाव हो गया. अक्तूबर, 2005 में राजद के टिकट पर अनिल कुमार एक बार फिर मैदान में थे, तो उनके सामने उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी इंद्रदेव मांझी भाजपा के टिकट पर थे. उस चुनाव में अनिल कुमार ने इंद्रदेव मांझी को 5891 मतों से हरा कर तीसरी बार पटना का रुख किया. पांच वर्षों बाद यानी 2010 के चुनाव में एक बार फिर अनिल कुमार ने कांग्रेस में वापसी की. पुराने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के इंद्रदेव मांझी से मुकाबला हुआ, लेकिन 2010 के चुनाव में अनिल कुमार इंद्रदेव मांझी के रनर भी नहीं बन पाये. राजद के बच्चन दास को इंद्रदेव मांझी ने 43570 के रेकाॅर्ड मतों से हरा कर तीसरी बार विधानसभा का रुख किया. वर्ष 2015 के चुनाव में एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने थे. कांग्रेय के टिकट पर अनिल कुमार तो भाजपा के टिकट पर इंद्रदेव मांझी. इस बार कांटे के मुकाबले में अनिल कुमार ने 14871 मतों से न सिर्फ इंद्रदेव मांझी को हराया, बल्कि 1985 के बाद भोरे में कांग्रेस की वापसी भी की.

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