स्थायी निदान के प्रति नहीं हो पा रही जोरदार पहल
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गंडक की त्रासदी से कब होगी मुक्ति
स्थायी निदान के प्रति नहीं हो पा रही जोरदार पहल बाढ़ नियंत्रण विभाग ने नदी को प्ले एरिया में छोड़ा गोपालगंज : गंडक की त्रासदी से कब मुक्ति मिलेगी! यह सवाल गोपालगंज के दियारे में रहनेवाले 3.56 लाख लोगों का है. ये साल-दर-साल गंडक नदी की त्रासदी को झेल रहे हैं. एक – एक परिवार […]
बाढ़ नियंत्रण विभाग ने नदी को प्ले एरिया में छोड़ा
गोपालगंज : गंडक की त्रासदी से कब मुक्ति मिलेगी! यह सवाल गोपालगंज के दियारे में रहनेवाले 3.56 लाख लोगों का है. ये साल-दर-साल गंडक नदी की त्रासदी को झेल रहे हैं.
एक – एक परिवार के पास सिर्फ यही सवाल है कि कब इस बरबादी से निजात मिलेगी. बाढ़ जब भी आती है, तो अपने ही घरों को अपने ही हाथों से तोड़ कर दर-दर की ठोकर खाना पड़ता है.
नदी का रुख स्वतंत्र रूप से अपने हिसाब से तबाही मचाते रहा है. प्रत्येक वर्ष दो गांवों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है. कभी भी नदी से निबटने के लिए स्थायी निदान के प्रति पहल नहीं की गयी. माननीय लोग अगर पहल करे, तो गंडक की तबाही का स्थायी निदान निकल सकता है.
इन गांवों का मिट चुका है अस्तित्व
कुचायकोट प्रखंड के भगवानपुर, राजापुर, धूप सागर, विशंभरपुर के पांच अलग अलग टोला, सदर प्रखंड के धर्मपुर, रजवाही, निरंजना, मलाही, टेंगराही, मकशुदपुर, मेहदिया, बकुवा टोला, कठघरवा पंचायत का आधा गांव, जगीरी टोला के वार्ड नं-1, खाप, भोजली,बरौली के मोहदीपुर, पकड़ियां जैसे 40 गांवों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. नदी अब भी गांव को काटने पर तुली हुई है.
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