गोपालगंज में तेजी से बढ़ रही अस्थमा के मरीजों की संख्या
गोपालगंज : सांस की बीमारी दमा हर उम्र के लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. देश में इसके मरीजों की संख्या तीन करोड़ है जबकि गोपालगंज में यह संख्या 1.18 लाख तक पहुंच गयी है. हर दशक बीतने के साथ इसके मरीजों की संख्या में पचास फीसदी का इजाफा हो रहा है. विभिन्न कारणों से होनेवाली हर माह दस मौतों में एक दमा से होती है.
हालांकि ज्यादातर मामलों में यह बीमारी हल्की ही होती है, लेकिन कुछ लोगों के रोजाना के कामकाज में व्यवधान उत्पन्न करती है. इसके बीच, यह बात सुकून पहुंचाने वाली है कि यदि पौधों से दोस्ती कर ली जाये, तो इस समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है.
प्रदूषण का सीधा है असर
हालांकि वैज्ञानिक पहले पर्यावरण व दमा के रिश्ते को लेकर प्रामाणिक तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन अब यह बात काफी हद तक साबित हो चुकी है कि पर्यावरण प्रदूषण से इसका सीधा नाता है. सेवानिवृत्त एसीएमओ वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ वीएन अग्रवाल का कहना है कि पेड़-पौधे पर्यावरण प्रदूषण को कम करते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं. यह न केवल वायु को स्वच्छ रखते हैं बल्कि दमा जैसी बीमारियों से भी हमें दूर रखते हैं. इसके साथ ही वृक्ष नाइट्रोजन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जिससे दमा के रोगियों को सीधा फायदा होता है.
घर में लगाएं पौधे
शहर के प्रमुख छाती रोग विशेषज्ञ एमडी डॉ जेजे शरण की मानें तो नासा की सिफारिश भी यही कहती है कि घर में लगाये जानेवाले पौधे वायुशोधक का कार्य करते हैं. प्रत्येक 1800 स्क्वायर फुट के मकान में छह से आठ इंच लंबे पंद्रह से अठारह पौधे लगाने चाहिए. हां, इसमें इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि कुछ वृक्ष व पौधे दमा के अटैक को बढ़ाते हैं. मसलन क्रिसमस ट्री व पराग कण वाले पौधे.