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सीवान में हादसे के बाद भी स्कूल संचालक नहीं ले रहे सीख

गोपालगंज : शहर में निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है. इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है. बसों से स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की जान हमेशा खतरे में रहती है. स्कूल प्रबंधन बच्चों से बस फीस के नाम पर 600 से 800 रुपये प्रतिमाह वसूलते हैं. लेकिन, बसों में सुरक्षा मानकों का पालन कतई […]

गोपालगंज : शहर में निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है. इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है. बसों से स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की जान हमेशा खतरे में रहती है. स्कूल प्रबंधन बच्चों से बस फीस के नाम पर 600 से 800 रुपये प्रतिमाह वसूलते हैं.
लेकिन, बसों में सुरक्षा मानकों का पालन कतई नहीं होता है. दो सीटर बसों में तीन-तीन बच्चों को तीन सीटर पर चार से पांच बच्चों को बैठाया जाता है. स्कूल प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के मानकों की अनदेखी कर रहे हैं. सीवान में छात्रों की मौत के बाद मंगलवार को भी शहर के स्कूली बच्चों को जजर्र बसों से स्कूल जाते देखा गया. परिवहन विभाग की इस ओर कभी नजर नहीं जाती है.
शहर में चलती हैं 50 से अधिक बसें
शहर के स्कूलों में 50 से अधिक बसें चलती हैं. इनमें करीब 40 बसें ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से और बाकी स्कूल प्रबंधन द्वारा संचालित हो रही हैं. अब तक जो बातें सामने आयी हैं, उसके अनुसार स्कूल संचालकों के द्वारा ही जजर्र बसों का संचालन कराया जाता है और किराया वसूला जाता है. हालांकि कई स्कूलों की बसें ट्रांसपोर्टरों की बसों से 80 फीसदी अच्छी हैं.

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