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फिर आया चार्ज नोट का जमाना

जिले को समझने का मौका ही नहीं मिल पातानये अफसर को काम करने में सुविधा संवाददाता, गोपालगंज अंगरेजी हुकूमत में जब किसी अफसर का स्थानांतरण होता था, तो वह क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का ब्योरा तैयार कराता था और उसे नये अफसर के लिए छोड़ जाता था, ताकि उसे जानकारी हो सके. यह […]

जिले को समझने का मौका ही नहीं मिल पातानये अफसर को काम करने में सुविधा संवाददाता, गोपालगंज अंगरेजी हुकूमत में जब किसी अफसर का स्थानांतरण होता था, तो वह क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का ब्योरा तैयार कराता था और उसे नये अफसर के लिए छोड़ जाता था, ताकि उसे जानकारी हो सके. यह व्यवस्था देश आजाद होने के बाद भी लागू रही. बाद में खत्म कर दिया गया. अब शासन ने फिर से इस व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी किया है. जून माह तबादलों से भरा रहा है. स्थानांतरण को लेकर अब कोई नियम-कानून नहीं रह गया है. कब किसे कहां भेज दिया जायेगा, मालूम नहीं. कोई अफसर अच्छा काम करता है, तो भी इधर-उधर कर दिया जाता है. कोई खराब से खराब काम करता रहा, उसे कोई छूने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. कई बार तो अफसरों को अपने क्षेत्र, जिले को समझने का मौका ही नहीं मिल पाता और वह चलते बनते हैं. ऐसे हालात से विकास कार्य बाधित होते हैं. एक वरिष्ठ अफसर बताते हैं कि बहुत पहले यह प्रावधान था कि जब किसी अफसर का तबादला होता था, तो वह चार्ज नोट छोड़ता था. उसमें वह जिले से संबंधित पूरा ब्योरा लिखता था. महत्वपूर्ण प्रकरण, विकास कार्यक्र म, परियोजनाओं को लेकर नये अफसर को कोई दिक्कत नहीं होती थी. शासन ने फिर उसी फरमान पर अमल किया है. स्थानांतरण नीति से संबंधित तमाम बिंदुओं के साथ चार्ज नोट तैयार करने को भी जरूरी बताया गया है. कहा है, नये स्थान पर कार्यभार संभालने के बाद संबंधित अधिकारी को कार्य की जानकारी होने में समय लगना स्वाभाविक है. इसलिए स्थानांतरित अधिकारी को चाहिए कि वह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक चार्ज नोट बना दें, ताकि नये अफसर को काम करने में सुविधा हो.

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