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नहीं रहे भोजपुरी साहित्य सम्राट अंजन

भोरे/कटेया : अब है मौसम बदलने लगा, दौर दहशत का चलने लगा, हम बुजुर्गो को मत पूछिये, है जनाजा निकलने लगा. फूल वे रूप पर हो फिदा, संगे दिल भी मचलने लगा. अंजन रच कर मचलता था, जो उस पर अंजन फिसलने लगा. कवि अंजन की अंतिम कृति गीत गंगा में छपी. यह गीत जैसे […]

भोरे/कटेया : अब है मौसम बदलने लगा, दौर दहशत का चलने लगा, हम बुजुर्गो को मत पूछिये, है जनाजा निकलने लगा. फूल वे रूप पर हो फिदा, संगे दिल भी मचलने लगा. अंजन रच कर मचलता था, जो उस पर अंजन फिसलने लगा. कवि अंजन की अंतिम कृति गीत गंगा में छपी.
यह गीत जैसे उनकी अंतिम यात्र की ओर जाने का संकेत करता है. यह वह अंजन हैं, जो कवि सम्मेलनों व साहित्य के शिखर पर स्थापित थे. अचानक 15 जनवरी की सुबह उनकी मौत ने साहित्य की आंख से अंजन ही छीन ली. मौत की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र के साथ सभी साहित्यानुरागी एवं बौद्धिक जगत सन्न रह गया.
शिक्षक पदाधिकारी के रूप में बिहार सरकार में 1998 तक सेवा देनेवाले अंजन जी सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य साधना में लीन रहे. इधर, काफी दिनों से वे बीमार चल रहे थे. 12 जनवरी की शाम उन्होंने अपने परिजनों से कहा था कि अब चिंतन शक्ति थम-सी गयी है. शायद मेरा अवसान करीब है.
उसी दिन से उन्होंने भोजन भी त्याग दिया था. 14 जनवरी की रात जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश कर रहा था, उसी समय साहित्य का यह सूर्य अपने अस्ताचल की ओर बढ़ने लगा था. 15 की सुबह तीन बजे वह सदा के लिए अस्त हो गये. अंजन जी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं. लेकिन, अंजन का अभाव साहित्य एवं क्षेत्र को हमेशा खटकता रहेगा.
कवि अंजन का एक संक्षिप्त परिचय
कटेया प्रखंड के अमहीं बांके गांव निवासी राधामोहन चौबे ‘अंजन’ भोजपुरी साहित्य में अपनी रचनाओं के लिए इतने लोकप्रिय थे कि हर अवसर पर इनके गीत भोजपुरिया जुबान का श्रृंगार बन चुके थे. ‘बबुआ लेले जइह हमरा सामान हो, पूछिहें जवान सुगना’, ‘जब जब याद आई भाई के दुलार तोहरा’ एवं ‘बेटी भोरे भोरे जब ससुरार जइहें’ आदि उनके अमर गीत शायद ही कोई भोजपुरिया जुबान हो, जो न गुनगुनाता हो.
कविवर अंजन का जन्म भोरे प्रखंड के शाहपुर डिघवां निवासी स्व कृष्णा चौबे के घर में हुआ था. बाद में उनका परिवार कटेया प्रखंड के अमहीं बांके में आकर रहने लगा था. यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई. अपने जीवन को शिक्षक के रूप में आरंभ करनेवाले अंजन 1962 से आकाशवाणी से जुड़े रहे.
कवि अंजन की रचनाएं व उन्हें मिले सम्मान
भोजपुरी
कजरोटा – 1969
फुहार – 1970
ओहार 1973
सझवत 1974
पनका 1975
संनेश 1976
कलखी 1977
नवचानेह 1979
अंजुरी 1983
अनमोल मिलन 1990
आपन बोली 1990
मनसायन 1993
पोटली 1990
रउए खातिर 2002
संकट मोचन जय बजरंग 2004
हिलोर 2004
दिअरी बाती 2005
अतवरिया 2008
खोता 2008
चोख चटकार 2006
भक्ति गंगा
बतगुजन
हिंदी
गुच्छे अंगुर के 1993
धुंध छा गई 2007
शिवोदहम 2011
दिव्य तेज दिव्य शक्ति 2012
आहत क्षण 2013
गीत गंगा
मिले सम्मान
त्नकश्मीर राजकीय सम्मान (1980), बंग भोजपुरी परिषद सम्मान (1992), हीरा प्रसाद स्मृति सम्मान (2012) सहित दर्जनों सम्मान

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