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मकर संक्रांति का दान नहीं आसान

गोपालगंज : शास्त्रों में हाथ की शोभा दान-पुण्य से मानी जाती है. लोगों के मन में मकर संक्रांति पर दान की श्रद्धा तो है, लेकिन बढ़ती महंगाई से उसमें कुछ कमी नजर आ रही है. मकर संक्रांति को प्राचीन काल से दान पर्व के रूप में मनाया जाता है. मौजूदा दौर में दान को लेकर […]

गोपालगंज : शास्त्रों में हाथ की शोभा दान-पुण्य से मानी जाती है. लोगों के मन में मकर संक्रांति पर दान की श्रद्धा तो है, लेकिन बढ़ती महंगाई से उसमें कुछ कमी नजर आ रही है. मकर संक्रांति को प्राचीन काल से दान पर्व के रूप में मनाया जाता है.

मौजूदा दौर में दान को लेकर लोगों का रु झान भी तेजी के साथ बढ़ा है. लेकिन, बढ़ती महंगाई के बीच यह पर्व भी दान के लिए लोगों को अपने हाथ खींचने के लिए मजबूर कर रहा है. अब जब मकर संक्रांति पर लोग दान की तैयारी में दिखने लगे हैं, तो उन्हें यहां भी महंगाई दिखने को मिल रही है.

इस पर्व पर दान की जानेवाले प्रमुख वस्तुओं में तिलकुट, चावल, मूंग की दाल, गुड़, तिल, मावा, भूरा सभी पर महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. अब सवा किलो दान भी किसी गरीब के बस की बात नहीं है. इसलिए एक दिन की मजदूरी वाला मजदूर दान की बात सोच भी नहीं सकता. मध्यम वर्ग भी महंगाई के इस दौर में भले ही दान की श्रद्धा संजोये बैठा हो, लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति देख पहले की अपेक्षा दान की मात्र में कमी सोच रखा है.

दुकानदारों ने भी महंगाई के चलते दान की वस्तुओं की बिक्री में कमी की होनी की बात की है. बिहार के प्रमुख शक्ति पीठ थावे मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश पांडेय का कहना है कि दान-पुण्य में वस्तु की मात्र नहीं श्रद्धा का भाव देखा जाता है. अपनी धर्म-संस्कृति एवं पर्व के मनाने में महंगाई आदि कोई आड़े नहीं आ सकती. इसलिए लोगों को अपना त्योहार किसी वस्तु की मात्र से नहीं, बल्कि उसके महत्व की श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए.

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