गोपालगंज . दीपावली पर रंगोली और घरौंदा बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है. मान्यता है कि यह सुख-समृद्धि का प्रतीक है. घरौंदा घर शब्द से बना है और आमतौर पर दीपावली के अवसर पर अविवाहित लड़कियां बनाती हैं.
कई इलाकों में यह परंपरा आज भी जीवित है.कृत्रिम घरौंदा बना रही सिनेमा रोड निवासी सुप्रिया बताती हैं कि वैसे तो घरौंदा मिट्टी से बनाया जाता है, लेकिन बदलते समय में इसका निर्माण अब लकड़ी, कूट या थर्मोकोल से भी किया जा रहा.
बड़ी बाजार निवासी सुमिता बताती हैं कि समय के अभाव के कारण अब लोग घरौंदा नहीं बना पा रहे, जिससे घरौंदा का निर्माण करने वालों को एक नया बाजार मिल गया है. घरौंदा निर्माता इसे लकड़ी, प्लास्टिक व गत्ता से बनाने के साथ इसका आयात भी कर रहे हैं.जंगलिया चौक निवासी अमृता शर्मा बताती हैं कि घरौंदों को सजाने के लिए अविवाहित लड़कियां उसमें दीया जला कर मिठाई आदि रखती हैं. मान्यता है कि भविष्य में वे जब कभी भी दांपत्य जीवन में जायेंगी तो उनका संसार भी सुख-समृद्धि से भरा रहेगा.
श्रीराम के आगमन पर शुरू हुई थी परंपरा : भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद कार्तिक माह की अमावस्या के दिन अयोध्या लौटे. उनके आगमन की खुशी में नगरवासियों ने घरों में घी के दीपक जला कर उनका स्वागत किया.
उसी समय से दीपावली मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. अयोध्यावासियों का मानना था कि श्रीराम के आगमन से ही उनकी नगरी फिर बसी. इसे लेकर घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन शुरू हुआ.