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24 घंटे की रिपोर्ट 24 दिन में भी नहीं
गोपालगंज : डॉक्टरों को पोस्टमार्टम करने के 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट लिख देनी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर लिखते भी हैं, लेकिन कागज में 24 घंटे के भीतर दरसाया जाता है, पर हकीकत भयावह है. 24 दिनों में भी पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में पुलिस की […]
गोपालगंज : डॉक्टरों को पोस्टमार्टम करने के 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट लिख देनी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर लिखते भी हैं, लेकिन कागज में 24 घंटे के भीतर दरसाया जाता है, पर हकीकत भयावह है. 24 दिनों में भी पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में पुलिस की जांच प्रभावित हो रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को विलंब से मिलने का फायदा कांड के आरोपित उठा रहे हैं. पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में कांड की विवेचना मद्धिम पड़ जा रही है. चर्चित कांडों में सबकी नजर पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर होती है. वैसे चर्चित कांड में भी पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए चक्कर लगाना पड़ता है.
कई बार तो पुलिस अधिकारियों को चार से पांच बार सदर अस्पताल जाने पर रिपोर्ट मिल पाती है. अगस्त माह की रिपोर्ट पर नजर डालें, तो कुल 51 पोस्टमार्टम हुए हैं, जिसमें 22 रिपोर्ट ही पुलिस को मिल सकी है. जानकार सूत्र बताते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के विलंब से लिखे जाने के पीछे सदर अस्पताल में सक्रिय माफियाओं की भूमिका है. आरोपितों से सेटिंग कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेराफेरी का मामला भी उजागर होता रहा है. फिर भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इस खेल पर रोक लगाने के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. इस खेल का लाभ अपराधी, माफिया और आरोपित उठा रहे हैं.
मेडिकल बोर्ड में उलझता है मामला : चर्चित कांडों की पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल बोर्ड बैठाया जाता है, जिसमें तीन से पांच डॉक्टरों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम होता है. पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट लिखने की बारी आती है, तो न एक साथ पांचों डॉक्टर इकट्ठा होते हैं और न पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिख पाती है.
क्यों महत्वपूर्ण है पोस्टमार्टम रिपोर्ट : किसी भी व्यक्ति की हत्या, सड़क हादसा, डूबने से हुई मौत, किसी हादसे में मौत, आत्महत्या या मौत के अन्य कारणों की वैज्ञानिक रूप से पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही पुष्टि करता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस की अनुसंधान की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. व्यक्ति की मौत के कारणों का स्पष्ट पता इस रिपोर्ट में होता है, जिसे पुलिस साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करती है.
समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने का फायदा उठाते हैं आरोपित
केस 1 – 13 जुलाई को फुलवरिया थाना कांड संख्या -149/17 में मांझा में चर्चित भाजपा नेता कृष्णा शाही हत्याकांड में पुलिस को 20 अगस्त को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट विलंब से मिलने के कारण पुलिस की जांच ठंडी पड़ गयी थी.
केस 2 – 31 मई को विजयीपुर थाना कांड संख्या – 94/17 में आचार्य रवि प्रकाश त्रिपाठी की बाइक लूटने के क्रम में अपराधियों ने चाकू मार कर हत्या कर दी. इस कांड में दो जून को पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली.
केस 3 – विजयीपुर थाना कांड संख्या – 44/17 दिनांक 22 फरवरी को दर्ज हुआ. जहानाबाद के रहने वाले मुमताज की हत्या उसकी पत्नी ने ही जहर देकर कर दी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण पुलिस को जांच में काफी उलझना पड़ा.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट विलंब से लिखा जा रहा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी. आज से ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट समय पर मिलेगी. पुलिस की तरफ से भी किसी तरह की शिकायत नहीं मिली थी. मैं चार दिन पहले सीएस के प्रभार में आया हूं. यह मामला गंभीर है.
डॉ एके चौधरी, सीएस , गोपालगंज
पोस्टमार्टम रिपोर्ट विलंब से लिखा जा रहा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी. आज से ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट समय पर मिलेगी. पुलिस की तरफ से भी किसी तरह की शिकायत नहीं मिली थी. मैं चार दिन पहले सीएस के प्रभार में आया हूं. यह मामला गंभीर है.
डॉ एके चौधरी, सीएस , गोपालगंज
क्या कहते हैं अधिकारी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने के कारण कई कांडों के अनुसंधान में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है. कई बार विभाग को पत्र लिखा गया है. समय पर रिपोर्ट मिलने लगे, तो कांडों का खुलासा होने में भी देर नहीं होगी.
मनोज कुमार, एसडीपीओ, गोपालगंज
एक्सपर्ट व्यू
पोस्टमार्टम के साथ ही डॉक्टर को रिपोर्ट लिखनी है. डॉक्टर पोस्टमार्टम के साथ रिपोर्ट नहीं लिख कर न सिर्फ कानून को धोखा दे रहे हैं बल्कि अनुसंधान को भी अपरोक्ष रूप से प्रभावित कर रहे हैं. समय पर रिपोर्ट नहीं लिखने से रिपोर्ट में हेराफेरी की आशंका बढ़ जाती है. डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि इस पर त्वरित कार्रवाई करें और पोस्टमार्टम के साथ ही रिपोर्ट लिखी जाये.
वेद प्रकाश तिवारी, अधिवक्ता
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