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सैलानियों के आकर्षण का होगा केंद्र, करेंगे सैर

पहल. राजगीर में वन्यप्राणी सफारी निर्माण की कवायद शुरू 60 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गयी नालंदा : मगध सम्राट बिंबिसार के जमीनदोज किले पर राजगीर में वन्यप्राणी सफारी बनाने का काम शुरू हो गया है. वैभारगिरि और स्वर्णगिरि पहाड़ियों के बीच की घाटी में 191.12 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस सफारी का निर्माण होना […]

पहल. राजगीर में वन्यप्राणी सफारी निर्माण की कवायद शुरू

60 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गयी
नालंदा : मगध सम्राट बिंबिसार के जमीनदोज किले पर राजगीर में वन्यप्राणी सफारी बनाने का काम शुरू हो गया है. वैभारगिरि और स्वर्णगिरि पहाड़ियों के बीच की घाटी में 191.12 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस सफारी का निर्माण होना है. इनमें 72 हेक्टेयर भू-भाग पर बना मृग विहार भी समाहित है. इसके निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गयी है. वन्यप्राणी सफारी के चहारदीवारी निर्माण के लिए जरासंघ के अखाड़े से जेठियन जाने वाले मार्ग के किनारे जंगल झाड़ की कटाई शुरू हो गयी है. भगवान बुद्ध कभी इसी रास्ते से राजगीर से जेठियन का सफर तय करते थे. इस सफारी के निर्माण में करीब 500 श्रमिक काम करेंगे.
उनके और सफारी निर्माण मैटेरियल रखने के लिए जंगल काट कर वन भूमि को चौरस किया जा रहा है. ऐतिहासिक मनियार मठ से दक्षिण और बिंबिसार जेल क्षेत्र में पश्चिम करीब दो-तीन एकड़ जंगल को काट कर समतल किया जा रहा है. इसी जगह से सफारी निर्माण की मॉनिटरिंग की जायेगी. इस जमीन पर उगे जंगलों और दुर्लभ जड़ी बूटियों के नामों निशान मिट गये हैं. इस स्थल पर निर्माण कार्य भी जारी है. यहां से पुरावशेष मिलने की भी चर्चा है, जिसकी सूचना पुरातत्व विभाग को भेज दी गयी है.
राजगीर केवल अपने देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का अनूठा धरोहर है. यह प्राकृतिक, पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की रोचक व मनोहारी स्थलों, भग्नावशेषों एवं स्मृतियों का संगम है. यहां पुरातन काल से वर्तमान राजनीतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक घटनाओं व कृतियों का एक साथ दर्शन होता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस वन्यप्राणी सफारी का शिलान्यास इसी साल 17 जनवरी 2017 को किया था. इसके शिलान्यास समारोह में बिहार सरकार के कई मंत्री शामिल हुए थे .
यह वन्यप्राणी सफारी देश- दुनिया के सैलानियों का आकर्षक का केंद्र तो होगा ही वन विभाग को राजस्व संग्रह में अव्वल होगा. इस वन्यप्राणी सफारी में हिंसक वन्यप्राणियों के लिए पांच बाड़े बनाये जायेंगे. इन बाड़ो में बाघ,शेर,तेंदुआ,भालू, हिरण( चितल व सांभर) रहेंगे. यहां चिड़ियों के लिए एक एवियरी भी होगा व रंगबिरंगी तितलियों का एक आकर्षक पार्क भी होगा. इस सफारी में वन्यप्राणियों को रहने के लिए बड़े-बड़े बाड़ों का निर्माण कराया जायेगा. सैलानियों को बंद गाड़ियों में बाड़ो के अंदर ले जाकर वन्यप्राणियों को ज्यादा प्राकृतिक रूप से देखने का अवसर मिलेगा. राजगीर में बनाये जा रहे इस सफारी में दिन में तो पर्यटक आनंद उठाएंगे ही रात में भी उनके सफारी भ्रमण के प्रबंधक किये जायेंगे.
सूत्रों के अनुसार मांसाहारी वन्य प्राणी रात्रि में अधिक क्रियाशील होते हैं. ऐसे तो राजगीर का पर्यटक मौसम शरद ऋतु है. इसी मौसम में देश-दुनिया के लाखों सैलानी और तीर्थयात्री यहां भ्रमण के लिए आते हैं . यहां ग्रीष्म ऋतु में गर्मी अधिक पड़ती है. गर्मी के मौसम में यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को रात्रि में सफारी भ्रमण कराया जाये. इसके लिए रात्रि सफारी के रुप में इसे विकसित करने का भी प्रस्ताव है. राजगीर की वन संपदा और पहाड़ियां मनोरम दृश्य के लिए विख्यात है. यहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों, दुर्लभ जड़ी – बूटियों , वन्य प्राणियों की विविधता भी काफी समृद्ध है. वन्य प्राणियों,पक्षियों व तितलियों को प्राकृतिक अधिवास में उन्मुक्त क्रियाशील देखने की अनुपम अनुभूति होती है.
क्या कहते हैं अधिकारी :
वन्यप्राणी सफारी का निर्माण दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है. सफारी का निर्माण एजेंसी के द्वारा कराया जा रहा है. सफारी का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद वन्यप्राणियों को लाने की कार्यवाही आरंभ की जायेगी. यह सफारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसलिए उनसे अनुमति की जरूरत नहीं है .
– नेशा माणिका, जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी, नालंदा

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