गया : प्रभात खबर के रविवार के अंक में जीआरपी थाने के मालखाने से चूहों द्वारा शराब पी जाने के दावों से संबंधित खबर छपी थी और शाम को गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में आयोजित काव्य संध्या में इस विषय पर व्यंग्यात्मक कविताएं सुनायी गयीं.
यह काव्य संध्या का 158कां आयोजन था.
सम्मेलन की अध्यक्षता सभापति गाेवर्द्धन प्रसाद सदय ने की. विनाेद कुमार ने अपनी ताजातरीन कविता ‘देखअ थनमा में चुहवाे अब शराब पी रहलाे हे, केतने थानेदार एकरे नाम पर जी रहलाे हे, शराबी चुहवा घरे आके चुहिया पर लाठी बरसावा हे, तंग आके चुहिया नीतीश के गरियावअ हे…’, इस पर मुकेश कुमार सिन्हा ने भी चुटकी ली ‘पीकर चूहे हाे गये मस्त, देखाे पुलिस हाे गयी पस्त, सेंध मार कर चाेर गये तब पुलिस लगाये गश्त, भैया ये बिहार है…’, संजीत कुमार ने ‘प्रेम के रंग से सजा मेरा देश है, देता विश्व काे प्रेम का संदेश है… ’ निर्भया के अभियुक्ताें की फांसी की सजा पर सुमंत ‘देश की आैर भी कितनी निर्भया, काेर्ट-कटहरी का चक्कर लगा रही है, न्याय के बदइंतजामी से सामाजिक प्रताड़ना के साथ नारकीय जिंदगी बिता रही है…’, युवा कवि आर्यन ने ‘ऐ मुसाफिर चलता जा, बस मंजिल तेरे पास है, जीवन जीने की लगी यहां न किसकाे आस है…’, खालिक हुसान परदेशी ने ‘मेरी निगाह में लहराता किसका साया है,
ये चुपके-चुपके मेरे दिल में काैन उतर आया है…’, मंद्रिका सिंह ने मगही कविता ‘छाेड़अ चिंता चिंतन करअ, निकल आवत हल, जरुर हाेएम कामयाब हम आज न ताे कल…’ इनके अलावा सुशील कुमार मिश्र, डॉ सुल्तान अहमद, शिववचन सिंह, अजीत कुमार, कुमारी संगीता सिन्हा, साेरेना राेज, डॉ प्रकाश, वासुदेव प्रसाद, डॉ निरंजन श्रीवास्तव, सुरेंद्र पासवान सहित अन्य ने अपनी रचनाएं पढ़ीं. डॉ ब्रजराज मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया.