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अशिक्षा व दहेज बड़ी समस्या

गया: शिक्षा का स्तर, दहेज प्रथा, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, लिंगभेद, सामाजिक सुरक्षा व जागरूकता आदि ये समस्याएं हैं, जो महिलाओं के विकास में बाधा पैदा करती हैं. ये ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से आधी आबादी अपने अधिकारों व आजादी से दूर हो रही है. यही लब्बोलुआब था महिला दिवस की पूर्व संध्या पर […]

गया: शिक्षा का स्तर, दहेज प्रथा, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, लिंगभेद, सामाजिक सुरक्षा व जागरूकता आदि ये समस्याएं हैं, जो महिलाओं के विकास में बाधा पैदा करती हैं. ये ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से आधी आबादी अपने अधिकारों व आजादी से दूर हो रही है.

यही लब्बोलुआब था महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को ‘प्रभात खबर’ के कार्यालय में आयोजित परिचर्चा का. जहां, शहर की कुछ महिलाओं व युवतियों ने राजनीति, सामाजिक, आर्थिक व कई ऐसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी, जिनसे उनका सरोकार भी जुड़ा है.

परिचर्चा ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती गयी, आधी आबादी की समस्याएं, अपेक्षाएं व मांगों का ग्राफ स्पष्ट होता चला गया. आंकड़ों की बात करें, तो मौजूद महिलाओं में 73 फीसदी महिलाओं ने माना कि उनके विकास में शिक्षा का अभाव मुख्य बाधक है. शायद इसी वजह से वे बैकफुट पर हैं. दूसरी बड़ी समस्या दहेज है. इससे 53 फीसदी महिलाएं सहमत हैं. 40 फीसदी महिलाओं ने सुरक्षा पर सवाल उठाया. साथ ही 20 फीसदी महिलाएं स्वास्थ्य, 20 फीसदी लिंगभेद, सात फीसदी बाल विवाह व सात फीसदी ने घरेलू हिंसा को महिला के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेवार माना है.

चर्चा जब राजनीति पर केंद्रित हुई, तो उनका मंतव्य स्पष्ट हुआ. उनका कहना था कि समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ महिलाओं को राजनीति में भी आगे आना पड़ेगा. वे कहती हैं कि समाज में अशिक्षा, दहेज, बाल विवाह, घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं गहराती जा रही हैं, ऐसे में राजनीति का हिस्सा बन कर उन्हें व्यवस्था बदलनी होगी. यही कारण रहा कि 74 फीसदी महिलाओं ने राजनीति में सक्रियता का समर्थन किया.

परिचर्चा में महिलाओं से जब सुझाव मांगे गये, तो सबने शिक्षा का स्तर सुधारने की वकालत की. इसके लिए सबने शिक्षित महिलाओं से एकजुटता दिखाने की बात कही. शहर से लेकर गांव तक. ‘जागो बहन जागो’ जैसे अभियान को लगातार चलाने पर बल दिया.

परिचर्चा में पुरुषवादी विषय भी हावी रहा. महिलाओं ने इस सोच में बदलाव की मांग की. महिलाओं के प्रति मानसिकता में बदलाव की बात कही. वह मानती हैं कि महिला आरक्षण बिल के लागू हो जाने से असमानता जैसी दूरियां बहुत हद तक कम हो जायेंगी. साथ ही महिलाओं ने प्रताड़ना, शराब बंदी, छेड़खानी जैसी समस्याओं पर चर्चा की.

परिचर्चा में रुखसाना कुरैशी, अमिता सिन्हा, रजनी कुमारी, शहला परवीन, पूनम कुमारी, प्रिया रानी, हिना खुर्शीद, किरण वर्मा, रीता वर्णवाल, डॉ तनवीर अख्तर, प्रेमलता भदानी, बेबी चौधरी, रीता कुमारी, सुनीता शर्मा व रीना गुप्ता मौजूद थीं.

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