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हिंदुस्तान जुबानों की जन्नत यहां कवियों को ऊंचा दर्जा

अतिथि के रूप में मौजूद हंस के संपादक संजय सहाय ने कहा- आयोजन तारीफ के काबिल, इसे जारी रखने की जरूरत गया : सीयूएसबी में शुक्रवार को कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन हुआ. इस दौरान वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए हंस के संपादक संजय सहाय ने कहा कि बहुत अच्छी बात है […]

अतिथि के रूप में मौजूद हंस के संपादक संजय सहाय ने कहा- आयोजन तारीफ के काबिल, इसे जारी रखने की जरूरत
गया : सीयूएसबी में शुक्रवार को कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन हुआ. इस दौरान वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए हंस के संपादक संजय सहाय ने कहा कि बहुत अच्छी बात है कि सीयूएसबी में कवि सम्मेलन सह मुशायरा हो रहा है.
हालांकि, वह कवि नहीं हैं और हंस पत्रिका भी कविता के लिए नहीं जानी जाती है, फिर भी कोशिश रहती है कि उसमें कुछ अच्छी कविताएं आएं और आती भी हैं. यह बहुत बढ़िया काम है. श्री सहाय ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से शिक्षण संस्थानों की जो स्थिति हो गयी है, उसमें यह (कवि सम्मेलन या मुशायरा) नकलिस्तान की तरह दिखाई दे रहा है. उन्होंने सीयूएसबी को इस आयोजन के लिए बहुत बधाई दी और उन्हें ऐसा माहौल बनाये रखने को कहा. इस दौरान एक अतिथि खुर्शीद ने कहा कि कवि सम्मेलन सह मुशायरा बिल्कुल नयी चीज है.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान जुबानों की जन्नत है. यहां कवियों व शायरों को बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया है. यहां के राजा व बादशाहों ने कवियों व शायरों को बहुत इज्जत दी. एक अंगरेज ने कहा था कि भारत में देवताओं के बाद अगर किसी काे दर्जा प्राप्त है तो वह हैं कवि व शायर.
सहायक प्राध्यापक डॉ कफील अहमद नसीम ने कहा कि एक ऐसी परंपरा कायम हो, जिससे हमारे हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब को आगे ले जाया जाये.

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