आयोजन. पूर्व सांसद दयानंद सहाय की पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक संध्या में पेश की गजल
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शोला हूं, भड़कने की कोशिश नहीं करता..
आयोजन. पूर्व सांसद दयानंद सहाय की पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक संध्या में पेश की गजल गया : एपी कॉलाेनी स्थित दयानंद-सुशीला सांस्कृतिक केंद्र में सुर सलिला व रेनेसांस के संयुक्त तत्वावधान में पूर्व सांसद दयानंद सहाय की पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक संध्या का आयाेजन किया गया. इस दौरान पटना के गजल गायक डॉ सीताराम सिंह व ग्रुप […]
गया : एपी कॉलाेनी स्थित दयानंद-सुशीला सांस्कृतिक केंद्र में सुर सलिला व रेनेसांस के संयुक्त तत्वावधान में पूर्व सांसद दयानंद सहाय की पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक संध्या का आयाेजन किया गया. इस दौरान पटना के गजल गायक डॉ सीताराम सिंह व ग्रुप द्वारा गजल पेश की गयी. इससे पहले पूर्व सांसद दयानंद सहाय की तसवीर पर एमयू की कुलपति डॉ कुसुम कुमारी, मनरेगा के लाेकपाल राय मदन किशाेर, गया कॉलेज के अंगरेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ केके नारायण, संजय सहाय, दुर्वा सहाय, कामेश्वर पाठक, डॉ डीपी खेतान, राजेंद्र सिजुआर, दिनेश मउआर समेत अन्य ने माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की. कई लाेगाें ने पूर्व सांसद दयानंद सहाय की स्मृतियाें काे शेयर किया. इसके बाद सांस्कृतिक संध्या में डॉ सीताराम सिंह की गजल गायकी से समां बंध गया.
डॉ सिंह ने कहा कि संगीत उनका प्राेफेशन है, जबकि नाटक शाैक. उन्हाेंने कहा कि गया शहर में गायकी कठिन है. यह संगीत के क्षेत्र में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी है. इसके बाद उन्हाेंने मुज्जफर शाहजहां की गजल ‘शाेला हूं, भड़कने की गुजारिश नहीं करता, सच मुंह से निकल जाता है, काेशिश नहीं करता…’, राग काैशिक कांद्रा में गालिब की गजल ‘हरेक बात पे कहते हाे तुम, कि तू क्या है, तुम्ही कहाे कि ये अंदाजे गुफ्तगू क्या है…’ फिर ‘माेहब्बत करनेवाले कम न हाेंगे, तेरी महफिल में लेकिन हम न हाेंगे…’ सुनाया, ताे पूरा माहाैल तालियाें से गूंज उठा.
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